Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 199
________________ '४६ हम्मीरायण [६] अरक गयण नह उगै, साह जो सीस नवाऊं हरिहर बब बीसर सुकर जो डंड सहाऊ दीयण धीह जब दखू, तबह जाय जीह तड़क्के चंद सू ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... साह मोमू पणि मू सरणि न मिलू आय पतिसाह नू मो मिलियां डूंब धरणि . [७] दोय राह दरगाह रहै पतिसाह हुकम्मै सात दीप देसोत डंड झाले सिर नम्मै चूको सरै अपार वार अहकारे वग्गो नरवै कुणनरपति जिको तिण पाय न लग्गै अलावदीन जग दम्मणो, किसा हमीर डंबर करै ‘कमण काट डूंगर कमण उठ जाय घट ऊबरै [८] देवागिर म म जांण, नहीं ओ जादव नरवै चत्रकोट म म जांण, करन चालक न होवे गुजरात हि म म जांण, कोडि कूडै करिग्रहियो मंडोवरि म म जांण, हेलि मातहि वीग्रहियो अलावदीन हमीर हुं खित किमाड़ आडो खरो "रिणथंभगढ रोहीजतै, पाईस अब पटतरो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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