Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 231
________________ ७८ हम्मीरायण २६५ थारा पीठ खड्यउ हम्मीर, तिहि तीर, सिरि सिरि, = पड्यउ, ईसर । कीयउ = २६६ रा माथा हेठि, जाइ, कुल रखवालउ राख्यउ भाउ २६७ प्रभात तब मेली । २६८ सुरिताण, खायइ, रणमल, पूछयउ पातिसाहि, तुम्हारउ, इणि । २६६ आगेहि, आया ज्यां बंध, दिखाड़इ । ३०० यड, मूअउ, इणि ठाई, सांभरिवाल; कुण हिंदू होस्यइ इणि कली । - ३०१ तब साहिब, खान नइ काउ, बांहि । ३०२ श्लोक-भाट करइ कइवारो, बोलइ विरद अप्पारो धन जणणी हम्मीरो, सरणाई विजइ पंजरो सूरो २६० ३०३ संभारि, उचित्य देइ खुदिकार | हूअउ । ३०४ सिरि ऊपर देखी करी, पूछइ, कहि न, जो ३०५ जिं, बइठउ, जड, वइजल दे = जिणिकुलि । ३०६ इस दोहे के अंतिम ३ चरण और ३०७ वें दोहे का एक चरण मिलाकर एक दोहा उदयपुर वाली प्रति में कम है ३०७ मूड = हुअङ, भुआल । ३०८ म= कांध, महियलि अविचल जां लगइ सूरिज अरु जाम । ३०६ की=नी, करउ समाधउ भाट । ३१० नाल्ह = भाट, दइ मुझ = आपउ, मोकलावि नः कइ = रइ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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