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हम्मीरायण
२६५ थारा पीठ खड्यउ हम्मीर, तिहि तीर, सिरि सिरि, = पड्यउ, ईसर ।
कीयउ =
२६६ रा माथा हेठि, जाइ, कुल रखवालउ राख्यउ भाउ २६७ प्रभात तब मेली ।
२६८ सुरिताण, खायइ, रणमल, पूछयउ पातिसाहि, तुम्हारउ, इणि ।
२६६ आगेहि, आया ज्यां बंध, दिखाड़इ ।
३०० यड, मूअउ, इणि ठाई, सांभरिवाल; कुण हिंदू होस्यइ इणि कली ।
- ३०१ तब साहिब, खान नइ काउ, बांहि ।
३०२ श्लोक-भाट करइ कइवारो, बोलइ विरद अप्पारो धन जणणी हम्मीरो, सरणाई विजइ पंजरो सूरो २६०
३०३ संभारि, उचित्य देइ खुदिकार |
हूअउ ।
३०४ सिरि ऊपर देखी करी, पूछइ, कहि न, जो ३०५ जिं, बइठउ, जड, वइजल दे = जिणिकुलि । ३०६ इस दोहे के अंतिम ३ चरण और ३०७ वें दोहे का एक चरण मिलाकर एक दोहा उदयपुर वाली प्रति में कम है
३०७ मूड = हुअङ, भुआल ।
३०८ म= कांध, महियलि अविचल जां लगइ सूरिज
अरु जाम ।
३०६ की=नी, करउ समाधउ भाट ।
३१० नाल्ह = भाट, दइ मुझ = आपउ, मोकलावि नः
कइ = रइ ।
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