Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 224
________________ पाठान्तर १८५ महुअरी, त्याइ नादि वरी, कइवार न-तेन । १८६ अणीसार, विछूटइ, इम बेवइ ते भिड़इ सवीर । १८७ सुभटां नइ, मइगल, अयार, लियइ । १८८ धूणी धरा हइवर, घणा-भला, जणा, हिव अंतर दाखउ आपणा। १८६ हुयइ, सार दुहेली धार । १६० ग्रहियउ, वास-ठाम । १६१ जेइत्र हुइ रणथंभउर-धणी। ११२ री नी, खूट उ-त्रुटा, इक, मलिक खान-कटक मिलि । १६३ प्राणइ, पुरावउ लँदिकार, तिणि वार । १६४ रिण ऊपरि जोवइ चढिं, मंडाण -विनाण, सउ =साम्हउ १६५ काउ, आव्या, पाडउ =मारउँ । २६६ इम, किम भांजसि । १६७ तिणि पाड्या-पाड्या एकणि, चमक्यउ आलम, प्राण । १९८ पूरथउ, तिणि वरे, हुउ, नांखउ आवउ १६६ सूथणी। २०० मन माहि। २०१ दुर्ग हिव =सही गढ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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