Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 226
________________ पाठान्तर - २१८ गढे, रामचंद्र। २१६ तउ रहियउ रि अभंग, चलावि- वउलाइ । २२० कदे = वली। २२१ विमासी ज्यां, तेड्या राय-मोकल्या, रउपाल देव बे मोकलिया, ठामि । २२२ हउणहार इम जोइ, मनि कूड़ा बेऊ तणा, जोवई । २२४ छइ, अम्ह, बेसाड़इ तासु । २२५ अम्ह द्यउ, परधान, घरि मोकलउ देइ बहुमान । २२६ किया, गढ लीधा विणु [ किम ] जाइसि मियां । २२७ तउ गढ द्या तुम्ह विण परमाणि, हसी हसी द्य लिखि फुरमाण । २२८ हम्ह, विचि[ इन दो गाथाओं में २ पद त्रुटक को उदयपुर की प्रति से पूर्ति किया गया है ] । २२६ मनि भूला नइ चूका सान, त्यां मूरिख, वीससियइ कीम। २३० ते, आव्यां छ इहां, हरिख्यउ । २३१ पातिसाहि तुम्ह कहियउ किसउ, मांगी कूयरी, मनां थी २३२ जाणी, थी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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