Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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. परिशिष्ट (२)
[१५] जेसा कुञ्जर रवद मोड मां मांणकह मंडै , जेसो कुल कुंजर रवद एक एको नह छडै ; जेसो सीस सिर नमो सीस ते छत्र परग्गे , अवर राव राईयां मांहि तां मोटो दिग्गे ; हमीर रांण गाढो क्रिपण दिये न दी जिम देवगिरि । पाथर वढति घासंति किरि पडै टाल सुरताण सिरि ।
॥ अथ दूहा ॥ रजह पलट्ट दिन वल, दिनह पल जांहि; वड्डां मिनखां बोलियाँ, वचन पलट्ट नाहि ॥१॥ तू परदेसी पाहणो, जाजा सुणिरि जाह; गढि गरवातन ऊतर,(ते)गढ करसां गजगाह।।२।। जो जायो तंस जणै, जाजो कहै सु जाहि, रिणथंभ नू रूड़ौ कर, म्रित देसां गढिसांहि ॥३॥
॥कवित्त ॥
[१६] ऊंचो गाऊ एक ताह हमीर झरहरियो, कणे थंभ ओपियो चंद तारां परवरियो ; सांमध्रम निज ध्रम ध्रम हिंदुवो संभारे, करण नाम मनि करै जीह श्रीराम संभारैः हमीर छभा प्रणाम करि अवर जायरे खग अडै, अलावदीन दल ऊपरी पतंग जांण जामो पड़े।
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