Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
View full book text
________________
हम्मीरायण ता करण असपति राय हो, तीर महम मुकीयौ ।।१२।। जुद्ध राम रांमनह, जुद्ध बालिह सुग्रीवहि । जुद्ध करन अर्वनह, जुद्ध दुसासन भीमहि ॥ पुहिमराय सुनि जुद्ध, काल वीती चहुवांनहि । धीर एम कटियहि, छत्र ऊपर सुरतानह' । पर हसै एह चित्र धरि अरीयन जिम पंडर रयन । झगडौ पुरानौ उधडौ अडि नरिंद हमीर सुन ।।१३।। जु सिर कनक मणि रयण, मोर माणंकह मुड्यौ । जु सिर वास कुसमह निवास, छिन इक न छड्यौ। जु सिर सिरांनहि नयब, तास सिर छत्र बयठौ । जु सिर पंच भोआल, माहि उदवंतौ दिठौ ।। हमीर राउ गाढौ कृपन, देन राम जिम देउगिर। पाहन वहंत घठब कर, सु परीया चंद सुरतान सिर ॥१४॥
[बात ] जाजौ वड गुजर पाहुणौ थकौ आयौ हुतौ. तिण नू राजा हमीर आपरी बेटी देवलदे परणाई थी। सु परण मोड बाधे हिज काम आयो। देवलदे राणी होद माहे बुड मुई॥
॥दहा ।। जाजा तू चाल जाहि, तू परदेसी प्रांहुणौ । म्हे रहस्यां गढ मांहि, गढ जीवतां न देवस्यां ॥१॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242