Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
View full book text
________________
५०
हम्मीरायण
[ १७ ] स सेन सूरमां छणै रज अंबर छायो, धोरी धर धसमस सेस पयाल न मायो; गोरी दल हमह मिल अमंगल मेछां दल, सुर रथ संबाहि रहे अचरज्ज अणंकल; हमीर चाडि रिणथंभ छलि सुत वैजल असमर जाको जडाग तोडै तुरक हड़हड़ तिम संकर हसै ॥
1
[ १६ ]
अस असं असमर असंख संख सीतल न क्यों जल, अनि अनंत भड़ भागवंत जिसा जैसिंघ अणंकल ; रहेसि धेन वन घिसेह विधियां सूरातण,
जांमवंत जुहवंत मच्छ कवि ओछ महा घण;
...
Jain Educationa International
***
***
....... बह दीह पयंपै लाfa बह सपड़ो........
[१६]
करे कोट जुहार सार गहीयां साऊजल, की मुख हलकार व वपधार वीजूजल; मिल लोह सूरमां हुवा भांड़ लत्थो बत्थां वाह हथ वाखाण जिसी भारथ पारत्थां ; जे चंग तणो चंद नांम जड़ि साका बंध सधीर रे । पड खेत मीर लेखै पखा रहे हाथ हमीररे ॥ [२०] atter अगणमै मास सांगण तिथ पांचम, थावरह कार सुर भड़ चढे तुरंगम;
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242