Book Title: Hammirayan
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 188
________________ हम्मीरायण सिरि सिरि ऊपरि देखिकरि, पूछिउ आलम साहि; भाट कहइ जि कुण आदमी, ए हुआ कलि मांहि; रिणथंभवर जे जलहरी, राई हमीर बइठउ ईस; वइजलदे 'जाजउ देवड़उ', पूज्यउ साहिब सीस; . ३०५ (य)उ वर वीरमदे वली; बंधव राय हमीरः जु 'महिमासाह' 'गाभरू,' थारा घर का मीरः । इय चहुयाण 'हमीरदे', सरणाई रखपाल; 'अलावदीन' तुझ आगलइ, मोटउ मूउ भूपाल; ३०७ मान न मेल्यउ आपणउ, नमी न दीधउ केम; नाम हुवउ अविचल मही, चंद सूर दुय जाम; इन्द्रासणि 'हम्मीरदे', जोवइ 'नाल्ह' की वाट; । उचित देई वुलावि नई, करी समाध्यउ भाट; ३०६ 'नाल्ह' कहइ सुरताण नई', थापणि दइ मुझ आज; भाट नइ मुकलावि परहउ, हमीरदे कइ राजि; ३१० ३ ॥ चउपई॥ पातिसाह 'नाल्ह' नइ कहइ , मांगि जि काई थारइ मनि गमइ; गढ अरथ देस भंडार, मांगि मांगि म म लाइसि वार; ३११ अरथ गरथ देस भंडार न काम, साथि किंपि न आवइ सामि; जइ तूंठउ आपइ खंदकार, द्रोहांति नइ परहा मारि; ३१२ ३० ५इस, ३०८ थई, ३०६ हमीरदे, ३११ म - म म, ३५२ साथी न, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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