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बीता। इस युद्ध में मुसलमानी फौज के ८५,०००
योद्धा काम आए। (१२-१-८९) ... ५. एक दिन हम्मीर ५. एक दिन हम्मीर की मजलिस जमी थी। सिंहासन पर बैठा था। गाना हो रहा था। उसी समय सुन्दरी धारादेवी उसके आदेश से महिमासाहि ने अलाउद्दीन के
नर्तकी ने वहां आकर नृत्य शुरू किया। मयूरासन
- सातों छत्र काट डाले। बन्ध से नृत्य करते हुए उसने ताल-त्रुटि के समय सुल्तान ने लकड़ों से खाई सुल्तान को पश्चाद्-भाग दिखाया। इससे खिन्न को भरने का यत्न किया। होकर अलाउद्दीन ने कहा, "क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जब हम्मीर के सैनिकों ने जो इसे बाण से मार गिराए। सुल्तान के भाई ने लकड़ियाँ जलादी तो
उत्तर दिया, 'तुमने उड्डानसिंह को कैद में डाल रखा सुल्तान ने बालू से खाइ को भर कर गढ लेने का है। वही यह काम कर सकता है।' बादशाह ने प्रयत्न किया। किन्तु गढ़ उखानसिंह की बेड़ियाँ कटवा दी और उस पर कृपा के अधिष्ठातृ देव की माया दिखाई। उस दुष्ट ने बाण से धारा को मार कर से ऐसा पानी आया कि
दुर्ग की उपत्यका में गिरा दिया। महिमासाहि ने बालू बह गई।
(१९३-२०२) बादशाह को मारना चाहा, किन्तु हम्मीर के मना ... हम्मीर के सामने करने पर उसने उड्डानसिंह को ही मारा। उसके धारू और वारू नत, विनाश से चकित होकर अलाउद्दीन ने अपना डेरा कियां सुल्तान को पीठ तालाब के दूसरी ओर कर दिया । (१३-१-३८) दिखाकर नाचती थी।
सुल्तान ने खाई को पूलियों, उपलों, और लकसुल्तान ने बन्धनमुक्त महिमासाहि के चाचा
ड़ियों के टुकड़ों से मरवा दिया और एक और गढ़ द्वारा उन्हें एक बाण में के निकट सुरंग पहुंचा दी। किन्तु हम्मीर ने खाई ही मरवा डाला। सामान को अग्नि के गोलों से और सुरंग के आदमियों
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