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२४ 'पहले तुमने बड़े बड़े राज्यों को जीता है।'
- "जिमणइ गोडइ बइसारइ पासि” (२२४) यहां 'जिमणइ' का अर्थ 'जीवणा' या 'दाहिना अधिक उपयुक्त है। राज दरबार में राजा के निकट दाहिनी ओर बैठना सदा से प्रतिष्ठा सूचक रहा है। ( देखो मानसोल्लास या बीकानेर, उदयपुर आदि राज्यों की दरबारी रीति-रिवाजों पर कोई पुस्तक)।
२४ पद्यांश यह है ;“ तं मोटउ अगंजित राव" इसका अर्थ है, "तू बड़ा अजित राजा है।"
( अजित शब्द के महत्व को गुप्त सम्राटों की मुद्राओं पर देखें)
२५. पद्यांश यह है। तउ तुम्हि आव्या बड़ा प्रधान । घर मुकलावउ अम्ह नइ देइ मान ॥ २२५ ॥
“यह तब समझा जायगा" अर्थ न प्रासङ्गिक है और न शाब्दिक । २६. पद्यांश यह है :
“बंधवगढ़ नवि लीजइ प्राणि।" इससे अगली पंक्ति में प्रधान कहते हैं कि यदि उन्हें पूरी बूंदी दी जाय तो वे बल प्रयोग के बिना गढ दिला सकते हैं। इसलिए उपयुक्त अर्थ होगा___“इसे बल के प्रयोग से नहीं लिया जा सकता।"
... २५. 'यह तब समझा जायगा कि कोई बड़ा प्रधान तुम्हारे पास आया था जब तुम हमें सम्मान देकर वापस करोगे' - २६. 'उसे बल से क्यों नहीं ले लेते हो?'
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