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( १५ ) १५. छत्तीस राज- १५. इनमें खाइडा, महुउड़ा, और रणमल्ल जाति पूत जातियों के नाम। नाम नहीं है। इसके लिये उदयपुर की प्रतिका
पाठान्तर दृष्टव्य है। १६. युद्ध के आरम्भ १६. यह फिर दुरर्थ है। चउपई यह है :में सुल्तानी सेना के आगे मार्या मीर मलिक जाम, हम्मीर की सेना में भगदड़ . सगला दल मांहि पड्यउ भंगाण । पड़ गई जब निसुरतखां नवलखि मास्या निसरखान, ने हम्मीर के नौ लाख
___बंबारव पड्यउ तेणि ठाणि ॥१७२॥ *निक मारे।
वास्तविक अर्थ यह है :
"जब उन्होंने मीर और मलिकों को मारा सब ( सुलतानी ) सेना में भगदड़ पड़ गई । नवलखी (द्वार ) के पास नुसरतखान को जब राजपूतों ने मारा, तो उस स्थान में चीखना चिल्लाना शुरू हो गया।
नुसरतखों की मृत्यु के लिए आगे दियो ऐति
हासिक वृत्त देखें। १७. 'शत्रु दल में १७. दोहा यह है :हलचल पड़ गई और - कटक मोहि हल हल हुइ, हुउ दमामे घाउ । शाह-ए. आलम गढ़ पर
सुभट सनाह लेइ मला, चडिउ आलम साह ॥१४॥
___अर्थ यह है :चढ़ पड़ा।
“कटक में हलचल हुई। दमामों पर चोट पड़ी। वीरोचित अच्छा कवच धारण कर शाह-ए-आलम (अल्लाउद्दीन ) ने गढ़ पर चढ़ाई की” ।
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