Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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२६६४
• परिशिष्ट-७ . દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ
પૃષ્ઠ | દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ (४३६) पार्श्वनाथचरित्र (भावदेवसूरिकृत) ....१०८०,
२३७९, २४४४ १९५४ | (४४८) प्रतिष्ठाषोडशकवृत्ति ............... २३८१ (४३७) पिण्डनियुक्ति ................... २१ प्रदीप देखिए (४३८) पिण्डनियुक्तिवृत्ति ............ ११४,१६१४
वैयाकरणमहाभाष्यप्रदीपव्याख्या (४३९) पुरुषार्थसिद्ध्युपाय . १०७३,१०९०,२३०२ (४४९) प्रबोधचिन्तामणि ............. २८,१०३२ (४४०) पुष्पमाला ........... ६४८,१८९५,२२६२, | (४५०) प्रमाणचन्द्रिका ................... १९९५
२२७८, २४१३, २३४८, २३६०, (४५१) प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसूत्र ... १२७, २३६३, २४२८, २४४०
१३०, १३६, ५१९, ५३०, ५३४, ५९६, (४४१) पैङ्गलोपनिषद् .................... २३४५
६०८, ७१७, ७५६,७५९, ७६१, ७६९, पौष्करागम देखिए पशुपटल
७८०, ७९१, ७९७, ८०५, ९४७, ९५९, (४४२) प्रकरणपञ्चिका ................... १७१७
१०५५, १३५४, १६५९, १९४३, प्रकल्प देखिए निशीथभाष्य
२०८९, २२३२, २२९४ (४४३) प्रकृतिविच्छेदप्रकरण ............... ४७४ | (४५२) प्रमाणपरिभाषा ................... १९४३ (४४४) प्रज्ञापनावृत्ति (मलयगिरीय) ... ११८, १९१, प्रमाणपरिभाषाविवरण देखिए ___३७५, ८५०, १०८६, ११०८, १२३३,
न्यायालङ्कार १२८३, १३५०, १३५२, १४०२, १४०६, (४५३) प्रमाणपरीक्षा ......... १९४५ १४०७, १४१४, १४७०, १४८१, १५०३, | (४५४) प्रमाणप्रकाश....... ११८६,१३७६,१९४२ १५०७, १५७७, १५८६, १५८७, १५९१, (४५५) प्रमाणमीमांसा ........३८३, ६०८, ७१८, १६००, १६०६, १६१४, १६२०, १६३७,
७३२, ७५५, ७६९, ७८०, ७९१, १६५९, १६६५, १६६६, १८७७, २०८६,
७९८, ८०५, १०५५, १०९८, २०९५, २२२८, २२८४
१९४२, २०२५, २२३२ (४४५) प्रज्ञापनासूत्र (पन्नवणासूत्र).... १९६, ३७६, (४५६) प्रमाणमीमांसास्वोपज्ञवृत्ति ......... ४२८, ४१३, ४८५, ६२७, ६४२, ६४८, ६९७,
९७१, १९६४ ७७१, ८३३, १०२२, ११०८, १२९४, | (४५७) प्रमाणवार्तिक ..... २७२, ११८२, ११८३, १२९८, १३७९, १४८२, १५०५, १५०६,
११८९, ११९६, १४५३, १७२४, १५७७, १५८५, १५८६, १५८८, १५९१,
१७४७, १७७२, १९४९ १५९२, १५९३, १५९५, १५९६, १६२३, | (४५८) प्रमाणवार्त्तिकवृत्ति (मनोरथनन्दिवृत्ति) २७३, १६२८, १६३२, १७९६, १८०४, १८७२,
११८९ १८७७, १८९५, २१३६, २१५९, २१८३, (४५९) प्रमाणवार्त्तिकालङ्कार ........ ३९०,१९४९
२२२२, २२९८ (४६०) प्रमाणसङ्ग्रह..................... १७६१ (४४६) प्रतापरुद्रीय ..
..................७२४ | (४६१) प्रमाणसङ्ग्रहवृत्ति ................ १९४५ (४४७) प्रतिमाशतकवृत्ति ......... १३९६, २३७७, | (४६२) प्रमाणसमुच्चय ............... १९४९
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