Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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પૃષ્ઠ
• परिशिष्ट-७ .
२६६९ દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ
પૃષ્ઠ | દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ (५८०) योगसार .... ३४९, ९४१, २३०३, २४६६, | (६००) लक्षणमाला...................... १३९०
२४७५,२४८६,२५६१,२५६३ | (६०१) लक्षणावली...................... १६८१ (५८१) योगसारप्राभृत .....११,१८९,८९०,१०३२, | (६०२) लघीयस्त्रय ............६०७, ६१५, ७९५, १३७७,१५७६,१६९९,१८२४,१९०२,
७९९, ८०७, ९१५, १०३७, १०६१, १९०३,२००२,२००६,२०१२,२०४५
१९८०, २०७४, २२३० योगसिद्धान्तचन्द्रिका देखिए (६०३) लघीयस्त्रयस्वोपज्ञवृत्ति (तात्पर्यवृत्ति) ३८६, पातञ्जलयोगसूत्रवृत्ति |
१०६७, १०९०, २०९९, २१२७ (५८२) योगसुधाकर (योगसूत्रवृत्ति) ..........१९५० (६०४) लघुतमनामकोश .......... १७१९,२११७ (५८३) योगसूत्र............ १३५६,२३८०,२५४० | (६०५) लघुद्रव्यसङ्ग्रह ................... १०३२ (५८४) योगसूत्रभाष्य...... ९१५, १४०८, १५५५, | (६०६) लब्धिसार ........................ १३९२
२१९४, २५३८ | (६०७) ललितविस्तरा ....... ७६, १८२९, २३३४, योगसूत्रभाष्यवृत्ति देखिए तत्त्ववैशारदी
२५३८, २५७९ (५८५) योगसूत्रवार्तिक............ १४०७,१५४१ / (६०८) लिङ्गपुराण ....................... २३४५ (५८६) योगसूत्रविवरण (महोपाध्यायकृत) .. २३७९, (६०९) लोकतत्त्वनिर्णय .............. ३५५,४३९
२५७९ | (६१०) लोकप्रकाश...... ११८०, १४८५, १४८९, (५८७) रघुवंश ................ ८३५,८३६,२३६० १४९२, १४९३, १५०१, १५०८, १५३०, (५८८) रत्नकरण्डकश्रावकाचार ...... ११, १०३२, १६१०, १६१५, २०५३, २२९०, २३८८
१९००, २२०६, २३१४ | (६११) वराहोपनिषद् ..................... २३४६ रत्नप्रभा देखिए ब्रह्मसूत्रशाङ्करभाष्यवृत्ति | (६१२) वर्धमानपुराण .................... १५४८ (५८९) रत्नाकरपञ्चविंशिका .............. २१९२ | (६१३) वाक्यपदीय .... १५१, १५९, ६४७, ९५७, (५९०) रत्नाकरावतारिका .....५३८, ५३९, ७६०,
१०६७, १४९७, १५०१, १८०३ ९७७, १०६१, ११३७, २११८ वाक्यपदीयउपवृत्ति देखिए अम्बाकींवृत्ति (५९१) रसगङ्गाधर ...७२५, १९२०, १९८३, १९८९ / (६१४) वाक्यपदीयप्रकाशवृत्ति .......... १०८७, (५९२) रसतरङ्गिणी......................... ७२५
१५३५, १९०९ (५९३) रसदीपिका (कुट्टनीमतवृत्ति) ......... २३५७, | (६१५) वाक्यार्थचन्द्रिका(परिभाषेन्दुशेखरवृत्ति) . -२३८२, २३८३
.....५७१, १९९७ (५९४) रसवैशेषिकसूत्र ..................... १११ / (६१६) वाग्भटाऽलङ्कार ............ १५४०,२३५८ (५९५) रसार्णवसुधाकर .................. २३१६ वाचकमुख्यसूत्र देखिए तत्त्वार्थसूत्र (५९६) राजप्रश्नीयवृत्ति ....................१०७ (६१७) वाचस्पत्यम् ...................... ११०० (५९७) राजमार्तण्ड (योगसूत्रभोजवृत्ति) ....... १९५० | (६१८) वात्स्यायनभाष्य .................... ७२८ (५९८) रामगीता ... ................ २३४५ वादमहार्णव देखिए सम्मतितर्कवृत्ति (५९९) रुद्रहृदयोपनिषद् .................. २३४५ । (६१९) वादवारिधि (कारणतावाद)...........१४४९
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