Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

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Page 475
________________ न्यस्ताः पदे पदे नैके, सर्वेषामुपकारकाः । दृष्टान्ताः कर्णिकायां ये, तेऽत्रोपस्थापिताः मुदा ।। દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકામાં આવેલા ૬૩૦ જેટલા દૃષ્ટાંતોની અકારાદિક્રમથી સૂચિ परिशिष्ट - १४ दृष्टांत अंकुर अंकुश अंगारमर्दकाचार्य अंगुलि ...... अंत्य अवयवी. अंधकार अंशु अनाहतनाद अनुशांत प्राभृत अन्न अब्राह्मण अभिमन्यु अमृत (सुधा अमृतनिर्झर . अमृतभोज्य अरुणोदय अर्जुन अर्हन् अलातचक्र: अलाबु अविनीत अश्व (तुरंगम + पृष्ठ दृष्टांत घोटक) ३४४,१४१६,१४६८, २००८ ३६६ | अश्वशृंग (अश्वविषाण) २८ असंज्ञी .. २६४,११२६,११४४,१३०५ असाध्यव्याधि. .......... २३२८-२३२९,२३५६, २४२६, २४९३ २४८२ १९५४ अयस्कान्त (भ्रामकउपल) ११६५, २०४५ अयोगोलक (अयस्पिण्ड ) . २५२,२७९,६३९,२०४२ अयोध्याप्रजा. २७१, २७२ १३५९-६०, १४५५, १७०४ २६६ २४७० २३६५ ७२८ १६८२, १८५९ २४८२ ३६६ २४१८ १८६४ ... ७३१ ४७० १४३९ २३६५ ९१,२६६ - २६७,८०६, १०६७, १३४०, १८११, असि असिपत्रिका असुर अस्पृशद्गति . अहिंसा आंदोलन आंशिक सर्वज्ञादि आकाश (अंबर + गगन) आकाशकुसुम आकाशकेश आढक आतप आदर्श. आदिधार्मिक २७८९ पृष्ठ २२९१-२२९२ ११२३,१७१६ १८४९ २४४५ २४९५ २३७२ १८५९ १४४४ _८६१,९१३,१०१८ १५५६ ४१५-४१७ १४५,१५७,९५९, १०८३,१११५-११२०, १३१६, १३३७-१३३८,१३४४, १३६०, १४०४, १४१२-१४१३, १४४१, १४४९ - १४५१, १४५८, १४६४१४६५,१५६६, १७३२,१७९३, १७९५,१७९७,१८२३, १८५०, १८७२, १८७५, १८८७, १८८९-१८९४,२०९६, २१००, २१४७,२१७१,२१७८, २५७४ १७३५,१७६५ १६५ ७२९ ३६१-३६२,१७०४ २४९३ २४०६

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