Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 487
________________ दृष्टांत षष्ठी अंगुलिका संजीवनी संतान. संयम संवर.. संसार मोचक संसारी संस्थान संहनन समुद्रतरंग सम्प्रतिभूपजीव सम्मूर्च्छन सर्प सर्वज्ञ सर्षप परिशिष्ट-१४ (१) अनिर्वचनीय सर्प. (२) महापद्म सर्प (३) तक्षक सर्प (४) वासुकि सर्प सर्प (५) कृष्ण (६) शेषनाग .. (७) दृष्टिविष सर्प . साकार ज्ञान साधु (निर्ग्रन्थ). पृष्ठ दृष्टांत . २४१४ |सामायिक. २४२६ सिंह सक्तु ७२८ | सीमंधरनिर्वाण समुद्र (सागर + जलनिधि + सिंधु + उदधि) ३४९, सीमन्धरस्वामी ६४६,२३३३,२४४२, २५४९, २५६७, २५९०, २६१५ १७५४-१७५६, १७५८, १७६४-१७६५, २१४५ सिकता • ६८४,८७१,१७०४,२२३७ सिद्धरस १२७५-७६ सीता १०७८ | सिझियम - १३३ (परमाणु) १०७८ सिद्ध .. २३०० सिद्धगति १०२०-१०२२ | सिद्धपर्याय ४०४-०५,११५७-६०,१६४२, २३०९ ४०४ सुख सुखाकार ६४६ सुग्रीव २४१३ | सुन्द- उपसुन्द २४८५ सुमति - नागिल १९५९ ११५९ ११५९ ११५७-११६०,२४५९ सुवर्णपिण्ड. १९५९ सुषुप्ति. ....... २४४५ सूकरीविष्ठा. ३७०,४११-४१२,४१४,४१८ सूचि .. २६-२७,३४,४७,५३, १०३, १०७,८०९, १७९६, २१४१, २१५९, २२०६ ८६१,९१३,९५९,१०११,१०७८ ५८०,५८४,५८७, १९१९, १९८८-१९८९,२१०१,२२९१-२२९२ सुवर्ण (कांचन + कनक + • हेम) २८०१ पृष्ठ . ३७०, ४११-४१२, ४१४,४१८,१२८६ १४३८-१४३९ ६९५ - ९७, ७०७ २५३१ ३६६ ७३३, ७५० ..... २३०३ सूर्य (भास्कर + दिनमणि + दिनकर) १४४१,१७९८ ३७३ १५५६ २०४० - २०४१ सूर्य - सागरमिलन .....७३३ १९८६-८७ ४३२-३३,६४७,८९०,९६२,१०८३, ११३४- ११३६,११६३,११६५-६७, ११७५- ७७, १२०६, १३५६, २१२१-२२,२१९४, २५३१ १९४२ ८६६ २४६८ २२७७ ८७३, १२९३,१५६७, २१२०, २२५७, २२५८, २२६०-२२६१,२२६३-२२६४, २३७८, २४६८, २५५०, २५९२ . ४७० ११८८ ३६६ ३५३ २४८१ २५६,

Loading...

Page Navigation
1 ... 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524