Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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परिशिष्ट-१२
દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સાક્ષીપાઠ
પૃષ્ઠ
. ४६५, ९३९
. ९३९
४९
जावइया वयणपहा... (स.त. ३/४७). जावदिया वयणवहा तावदिया.... (गो.सा.क. का. ८९४) ९३९ जावन्तो वयणपहा तावन्तो... (वि.आ.भा. २२६५) जिघ्रत्यर्थगन्धविषयि..... (व्यु.वा.का. २/पृ. २८० ) जिण - गुरु- सुयभत्तिरओ..... (द.शु. २५१) जिणदेसियाई लक्खण.... ( ध्या. श. ५२) जिणसासणभत्तिगतो वरतरमिह... (ती. प्र. १२१४) जीयमाने च नियमादेत..... (यो. दृ.स. ८६ ) . जीव इति पुद्गल.... (भ.सू.८/१०/३६१-चू. पृ.३२) ......८४३ जीव - कर्मवियोगश्च मोक्षः .. ( स्था. सू. १/७ वृ./ पृ. २६). १४७५ जीव- पुद्गल - धर्माऽधर्मा.... (द्रव्या. प्रकाश - १ / पृ. २) ....... १५९८ जीव- पुद्गलाऽद्धासमया.. (भ.सू. २५/४/७३४ पृ. ८७४) १५८८ जीव- पुद्गलानां स्वाभाविके.. (अ. द्वा.सू. १३२वृ.पू. १८२ ) . १४३३ जीवं पडुच्च पोग्गले .. (भ.सू.८/१०/३६१/पृ.४२३) जीवः करोति कर्माणि..... (यो.सा. प्रा. २ / २८)
२४०७
८४३ . २००६
१६३६
जीवः तावत् शक्तिरूपेण..... (प्र. सा. ५५, ज.वृ. पृ. ९५ ) २०२६ जीवत्वं = चैतन्यम्.. (भ.सू.२/१०/१२०) जीवदवस्थायां चैतन्य.. (भ.सू.१३/७/४९५/वृ.पृ.६२३)..२००६ जीवद्रव्यं पुनः अनुपचरिता..... (बृ.द्र. स.
गा. २७ चूलिका वृ. पृ. ८६)
जीवद्रव्यमेव ऋजुसूत्र - शब्द.... (उत्त. बृ.वृ. २/
निर्युक्ति-७१/पृ.७५)
९६०
जीवद्रव्यस्यैकत्वेन द्रव्या.. (भ.सू.१८/१०/६४७ वृ . ) .. १०४२ जीवपरिणामहेउं कम्मत्ता..... (प्रज्ञापनावृत्ति
·
. २२८
२४१७
१५२९
•
प. २३ / सू. २८८ पृ. ४५५)
. २०९५ जीवपरिणामहेदुं कम्मत्तं.... (स. सा. ८०). . २०४४ जीवपरिणामे णं भंते ..... (प्रज्ञा. १३/१८४) . १९६ जीवस्य जीवत्वम् अनन्य.. (वि.आ.भा. ३१३५ वृ.) ... १८३७ जीवस्य णत्थि वण्णो.... ( स. सा. ५०) जीवस्य तावत्कथ्यन्ते.. ( प. प्र. ५७ / वृ.) . २२२४ जीवस्य तावत् (गुण- पर्यायाः) .. ( प.प्र.५७ कृ. पृ. ९९ ) २२१३ जीवस्यापि असद्भूतव्य..... (आ.प. पृ.१५,
१६४०
२७१५
પૃષ્ઠ
१०३१
દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સાક્ષીપાઠ
जीवाऽजीवा पुण्णं.... (न. त . १ ). जीवाऽजीवाऽऽश्रव-बन्ध (त.सू. १ / ४) १०२२,१०२३ जीवाऽजीवाऽऽस्रव - संवर.... ( क. प्रा. पेज्जदोसविहत्ती पुस्तक - १, गा.१४, ज.ध.पृ.१९५)
१०३२
१०३१
जीवाऽजीवाः पुण्य.... (प्र. र. १८९ ) जीवाऽजीवेभ्यः अव्यतिरिक्तः (वि.आ. भा. २०३३ मल.वृ. पृ. ७१७ ) जीवाइसत्ततत्तं पण्णत्तं जं... (द्र.स्व. प्र. १५९ ) जीवाजीवद्रव्यस्वरूप एव कालः .. ( ष. न. प्र. पृ. ५) जीवाजीवपज्जायत्तणतो.... (अ. द्वा.
सू.१३१/चू.पृ.१८१) जीवाजीवपर्यायत्वात् तदनन्तरम्.... (अ.सू.१३१,
सर्ग - २१/ श्लो. ८८/८९)
जीवादीनां पदार्थानाम्.... ( महापु. ३/३८) जीवादीनां वर्त्तना च... (का.लो.प्र. २८/६). जीवादीन् पदार्थान् नयन्ति .... (त.सू. १ / ३५ भा. ) जीवानां पुद्गलानां च.... (प्रज्ञा. १ / सू.३ / पृ. ८ वृ.) जीवानां सूक्ष्मपर्यायाः केवलज्ञान...... (का.अ.२२० वृ. पृ.१५३)
जीवास्तिकायात् पुद्गला.... (प्रज्ञा. ३ / ७९ पृ. १४२ ) जीवे कम्मं बद्धं पुडं..... (स.सा. १४१) जीवे धम्माधम्मे पदेसा हुं... (द्र.स्व. प्र. १४८) . २०१५ जीवो उवओगमओ (नि.सा. १०)
का.अ.गा.२६१/वृ.पृ. १८६)
जीवस्यापि असद्भूतव्यवहारेण..... (आ.प. पृ.१५, का.अ.गा. २६१/वृ.पृ. १८६ ) .
जीवो उवओगलक्खणो ( उत्त. २८ / १० ) २०२२ जीवो उवओगलक्खणो ( स.सा. २४). १६९९ जीवो ज्ञान - दर्शन - वीर्य ..... (ल.प्र. प्रवचनप्रवेश- १२/ वृ. पृ. २१)
जीवहँ लक्खणु जिणवरहि.... (प.प्र. २/९८) जीवा अणंतसंखा..... (गो.सा. जी. का. ५८८) जीवाऽजीवपर्याय.... (अ.सू.१३१, हा.वृ. पृ.१८३ ) . । ...... १६१६ | जीवो णाणसहावो जह.... (का. अ. १७८)
१४९०
१५९०
१०३०
१५४४
१६१६,१६२९
हे.वृ.पृ.१८५)
१०३१
१४५०
१५५७
जीवाजीवसुतत्त्वे पुण्यापुण्ये च... (र.क. श्रा. ४६). जीवाजीवा य बंधो य.... ( उत्त . २८/१४) जीवाण पुग्गलाणं गमणं... (नि.सा. १८४) जीवाण पुग्गलाणं हुवंति... (त्रि.प. ४/२८०). जीवादिदव्वाणं परियट्टण..... (नि.सा. ३३) जीवादिद्रव्यैः परिणमद्भिः स्वत.. (द्रव्या. प्र. ३ / पृ. २१४ ). १५११ . २०५८ जीवादिषु पदार्थेषु एकस्मिन्..... (ब्र.सू.अ.२/सू.३३ शा. भा. पृ. ५६०)
१५१२
जीवादीनां पदार्थानां परिणा.... (ध.श.
१६१६ ११
१९६५
१५६७
१४७०
१४८९
६०५
..... १४१४
२२१४ १५९१
१९०३
२०६५
१६९९
१६९८
१६९९
२०९९ १८४९
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