Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 426
________________ २७४० દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સાક્ષીપાઠ योगान्तर्गतकृष्णादिद्रव्य.... (प्र.सू.प. १७/ उ.१/सू.२०७/वृ.पृ.३३० ) ... . ८५० . २०२९ २५०१ रक्ते च भाग एकस्मिन्... (त.स.का. ५९४ पृ. १९८) १८८५ रक्तौ च पद्मप्रभ..... (अभि. चि. १/४९). रजोहरणादि लिङ्गं दीयते.....(बृ.क.भा. ३३२ वृ.) रत्तो बंधदि कम्मं मुच्चदि..... (स.सा. १५०). रत्नत्रयं मोक्षः (अ.सा. १८/१८० ). रयणप्पभा सिआ सासया...... (जीवा. सं. र. शा. ९७१४). रागादिभिरनाक्रान्तम्..... (यो.शा. ७/४) रामभद्र ! इत्येव मां प्रति.... ( उ.रा. · .......... परिशिष्ट-१२ પૃષ્ઠ | દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સાક્ષીપાઠ लक्षणा च शक्य.....( कारि. ८२). लक्षणा पुनः द्विविधा..... (प्र.च.४/पृ. ४०) लक्षणोपास्यते यस्य.... (सा. द्र. २/१५) लक्ष्यमाणगुणैर्योगाद् वृत्ते..... (त. वा. अध्याय- १/ पाद- ४/२२/पृ. ३१८, भा.प्र.६/३८४/पृ.१६६) .४२१ प्रतिप० ३, उ. १, सू. ७८) राग-दोसविरहितं चित्तं... (द. श्रु.स्क. ५ / १ चू. पृ.४४ ) ... २३८८ २३३२,२४४७ राग-द्वेषपरित्यागाद्... (सा.श. ९) राग-द्वेषवियुक्तस्य वस्तु (सू. कृ. श्रु. स्क. २/अ.६/सू.१४/पृ. ३९३) रागस्स दोसस्स य... (उत्त. ३२/२). रागाऽऽईणमऽभावा, जम्मा.... (श्रा.प्र. ३९२, (भ.सू.१९/११/५१८,क. सू. ३/५१) लक्षणं नाम विज्ञेयम्.... ( १९०० १०६८ लज्जालुओ दयालू..... (ध.र.६). लब्भइ सुरसामित्तं, लब्भइ..... (स.स. २२). लम्पटः शक्रसंज्ञश्च वाद्यो..... (ए. मा. को. ४६ ) लाउअ एरंडफले.... (आ.नि. ९५७) लावण्यलहरीपुण्यं वपुः पश्यति .... (ज्ञा. सा. १९/५) लिङ्ग-सङ्ख्या-कारकान्वित.... ( १०९९ | लिङ्ग- सङ्ख्या - साधनादि.... (त.सू.१/३३ स.सि. ) .८५१ लेखो द्विधा - लिपि-विषय... (सम. ७२ / वृ. पृ. १६६ ) . लेहं लिवीविहाणं जिणेण.... (आ.नि. २०७ गाथातः उत्तरं भाष्य - गा. १३) २३६८ २५२९ च. प्रथमः अङ्कः /पृ.३) . ८३७ रायसरिसो उ केवलिपज्जाओ.. (स.त. २/४१/पृ. ६२४ ) ... ६९७ रूपं = मूर्तता (भ.सू. ७/७/२८९ पृ. ३१० वृ.) रूपाऽऽलोक-मनस्कार.... (अ.ज.प. १८६५ भाग-१/अधिकार-३/पृ. २२८) रूपाद्यभिधायिगुणशब्द..... (स.त.३/१४ वृ.) रूव-रस-गंध-फासा जे थक्का.... (द्र.स्व.प्र. ३०) रूव-रस-गंध-फासा सद्द... (द्र.स्व. प्र. ११९ ) २१३८ १६७३ रूव-रस-गंध-फासा.... (स.त. ३/८). . १८१ रूवं पि भणति दव्वं.... (न.च.५९, द्र. स्व.प्र. २३० ) .. ८६९ रूवंतरओ विगमुप्पए.... (वि.आ.भा.३३७९) १३७२ रूवाइ-दव्वयाए न..... (वि.आ.भा. १९६५) रूवाइपिंड मुत्तं विवरिए..... (द्र.स्व.प्र.६३) रूवाईअसहावो, केवल.....(श्री.क. १३२८) रूविं पि काये, अरूविं.... (भ.सू.१३/७/४९५/पृ. ६२२). रोग-मृत्यु-जराद्यर्त्तिहीना..... (द्र.लो.प्र. २/८२) लक्खण-वंजणगुणोववेयं.. · ८७३ २०२ પૃષ્ઠ १९८३ १९९४ ७२३ भा. ३५८९ मल. वृ.) लोका हि गिरिगत..... (प्र. सू. पद - ११ वृ.) लोकाकाशप्रदेशस्था भिन्नाः.... ( च.च. परिच्छेद- २/ श्लो. ३८/पृ. १६१) लोकाकाशप्रदेशस्था भिन्नाः.... (यो.शा. १/१६/ अजीवतत्त्व - ५२ पृष्ठ - ३७, १९८६ २४३९ २५०६ २३९५ १४३९ २४९३ १३९१ . ७९५ २३७० २३६९ २२४२ लोएगदेसे ते सव्वे नाण..... ( उत्त. ३६ / ६७ ). लोकं पञ्चास्तिका..... (आ.नि. १०७९) १४९६ लोकं षड्द्रव्यात्मकम्.. (सू.कृ. २/६/४ पृ.३९०) १५०४ लोकव्यवहाराभ्युपगमपरो नयो..... . (वि.आ. १०८२ १०८६ १५५९ १५४८ त्रि.श.पु. ४/४/२७४). १५५९, १५७९, १५९४, १६०९ लोकाकाशप्रदेशे ये....(व.पु.१६/३५) . १७७९ लोकाकाशप्रभेदेषु कृत्स्ने.... (त. श्लो. वा. ५/२२/४४/पृ.४१८) १८६६ २२८२ लोकाग्रशिखरारूढाः स्वभाव.... (प. प. २३). लोकाग्रस्थं परात्मानममूर्त्तं.... ( ध्या.दी. १६९) . २०६० लोकाचारानुवृत्तिश्च सर्वत्रौ..... (यो.बि. १३०) २२९० लोकापवादभीरुत्वं दीनाभ्यु..... (यो.बि. १२६) लोके तत्सदृशो ह्यर्थः .... (त.सू.का. ३०). . १०५ लोको घटार्थाः क्रिया.... (सू.कृ.१/१३/ १८९३ निर्यु.१२५/पृ.२३७A) १५४९ १८७५ २५९३ २४४३ २४४३ १३३५ १२३३

Loading...

Page Navigation
1 ... 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524