Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

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Page 349
________________ • परिशिष्ट-७ . २६६३ દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ પૃષ્ઠ | દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ (४०५) पञ्चसूत्रवार्तिक ............ १३९०,२२३१ २१७१, २१७८, २२१३, (४०६) पञ्चसूत्रवृत्ति ...................... १८३० २२२४, २२२५ (४०७) पञ्चाध्यायीप्रकरण .....९५, १२०, ११३५, | (४१९) परमानन्दपञ्चविंशति ......... २५५, ७१९, ११३८, १२१२, १६४१, १६५०, १८१८, ८४७, ८६२, ९१८, १९४१, १९४६, २०८२, २११४ २३३७, २४३० (४०८) पञ्चाशक.......७२, ७२५, २२८५, २५६२ (४२०) परमानन्दीयनाममाला ............. १६६९ (४०९) पञ्चाशत्प्रकरण (रत्नप्रभसूरिकृत).....११३७ (४२१) परिभाषेन्दुशेखर ............. ५७१,१९९६ (४१०) पञ्चास्तिकायतत्त्वप्रदीपिकावृत्ति परिभाषेन्दुिशेखरवृत्ति देखिए (अमृतचन्द्रीय)..... ७६५, ८५४, १५५३, | वाक्यार्थचन्द्रिका १६३९, १६५१, १६५८, १६६६, १६७६, (४२२) परीक्षामुख ....................... १९४६ २०५८, २०६६, २१८०, २१५१, २२३४ | पर्यन्ताराधना देखिए आराधनासार (४११) पञ्चास्तिकायतात्पर्यवृत्ति (जयसेनीय) १४०, | (४२३) पशुपटल (पौष्करागम) .. १५१,७१२,१९५१ १५६४, १६५८, २१२७, २१३२, २१३६, (४२४) पाक्षिकसप्ततिका ................. १६३३ २२०८ | (४२५) पाणिनीयव्याकरण........... ६२१,१२४० (४१२) पञ्चास्तिकायसङ्ग्रह ...१५१, २०५, २६७, | (४२६) पाणिनीयव्याकरणपातञ्जलमहाभाष्य ४७७, १०३२, १३८९, १४०५, १४२०, १३०, ११४२, १३९०, २००७, १४५०, १५३२, १६१७, १६३८, १६५७, २१५७, २१९४ १६७६, १६९९, १७८१, १८०२, १८२३, | (४२७) पातञ्जलयोगसूत्रभाष्य ... १५३८, १५७५, १८५०, १८६६, १९८०, २०२०, २०५८, १६१० २०६०, २१७०, २१७८ (४२८) पातञ्जलयोगसूत्रविवरण .......... २५४२ (४१३) पदार्थतत्त्वनिरूपण .. ... १५३३ | (४२९) पातञ्जलयोगसूत्रवृत्ति पन्नवणासूत्र देखिए प्रज्ञापनासूत्र । (नागोजीभट्टवृत्ति) ..... (४१४) परमज्योतिःपञ्चविंशतिका........... १२८ (४३०) पातञ्जलयोगसूत्रवृत्ति (४१५) परमलघुमञ्जूषा ......... ५८०,५८३,७२८ | (भावागणेशवृत्ति) ....... ........ १९५० (४१६) परमात्मपञ्चविंशतिका ........ ८३, ७१३, | (४३१) पातञ्जलयोगसूत्रवृत्ति .. १६६८, १८७६ | ___ (योगसिद्धान्तचन्द्रिका) .......... १५३८ (४१७) परमात्मप्रकाश ........११६, ८५७, ८६२, | (४३२) पातञ्जलयोगसूत्रवृत्तिपञ्चक -- ८६६, १३८९, १५६१, १६३९, | (मणिप्रभादि) ............ १९५१, २३७९ १६५८, १६९९, १८३३, २०१०, | (४३३) पातञ्जलरहस्य ..................... ९१५ ___ २०२२, २३१२, २३८१ | (४३४) पार्श्वनाथचरितमहाकाव्य (४१८) परमात्मप्रकाशवृत्ति ........ ११९, १४५८, (पद्मसुन्दरसूरिकृत).. .............१५५९ १५५२, १६९४, १७९५, २०९७, | (४३५) पार्श्वनाथचरित्र (उदयवीरगणिकृत)..... ३१९ १९५०

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