Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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परिशिष्ट- ७
દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ
પૃષ્ઠ
१९४९
(४६३) प्रमाणसमुच्चयटीका (४६४) प्रमालक्षणप्रकरण. १४५, १०३२, १७६२, १७६३, १७६४, १७७१, १९४२ (४६५) प्रमेयकमलमार्तण्ड. .... ७१६, ७९५, ८०६ (४६६) प्रमेयरत्नकोश
( ४६७ ) प्रवचनपरीक्षा
( ४६८) प्रवचनसार
२६६५
પૃષ્ઠ
.......... ९०, ११८
(४७७) प्रश्नव्याकरणसूत्र १०६, २४७१, २४७२ (४७८) प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति. (४७९) प्राचीनद्वितीयकर्मग्रन्थ ............ १३०७ प्राचीनप्रथमकर्मग्रन्थ देखिए कर्मविपाक ४७६ (४८०) बङ्गीयविश्वकोश.
....६०२
९३४
(४८१) बृहती ( मीमांसाशाबरभाष्यवृत्ति) ८४५, १९४८ (४८२) बृहत्कल्पभाष्य ..... ६६, ७२, २००, ८३९,
५५, ६५, ११७, २५२, ४७६, ६३९, ६८८, ९१३, १०७८, १३८९, १५४८, १६३८, १६९९, १७०८, १७१७, १८१६, १८६७, १९८०, २०२२, २०५५, २०५८, २१२६, २२७६
८९३, ९११, १०११, १६२५, १६२६, १६३३, १६५४, १६६५, २२८०, २२८५, २३०५, २३१६, २३४३, २३६३, २४२८, २४३३, २४३४,२४५२, २४७१,
२५६३, २५९५
बृहत्कल्पभाष्यवृत्ति ७३, २६६, ३२९, ९४८, १४९७, १६२६, १६३४, १६३८, १६७१, २२८१, २५०१
२३६६
२३४५
१३२८
......... २५२
बृहत्कल्पसूत्र (४८५) बृहत्पराशरस्मृति . (४८६) बृहत्सङ्ग्रहणि . (४८७) बृहत्स्याद्वादरहस्य (४८८) बृहत्स्वयम्भूस्तोत्र. १५१, ४२६, ६१०, ९४४, १११८, १९४४ २०१२ १०७७,२३४४ (४९१) बृहद्रव्यसङ्ग्रह ... ६३०, १०३२, १२९२, १४३३, १४७७, १५४९, १५७९,
(४८९) बृहदारण्यकवार्त्तिक (४९०) बृहदारण्यकोपनिषद्
१७४४, १८६८, २०२३,
२०२६, २०६६ ९, १०, ४७५, ६३१, ७३४, ११२४, १५५०, १८६८, १९२२, २०२६, २०५८,
२१३३, २१७१, २२१२ द्रव्यस्वभावप्रकाश
(४६९) प्रवचनसारतात्पर्यवृत्ति ( जयसेनीय)
( ४७१) प्रवचनसारोद्धार
•
(४७०) प्रवचनसारतत्त्वप्रदीपिकावृत्ति (अमृतचन्द्रीय)
६५,
१४०, १५६७, १६६६, (४८३) २०२६, २१२७, २१७२
....
१०८, ११७, १३८, ४७७, ९५०, ९५१, (४८४) १०९१, १२६५, १५६६, १६५८, १६९६, १७११, १७१४, १८१६, १८२४, २०७३, २०९५, २०९७, २१५६, २२०८, २२०९, २२१५
१६, ७२, ९३७,
९४१, १०३२, ११०८, १३७९, १४८२, २४२९, २४३९, २४५२ (४७२) प्रवचनसारोद्धारवृत्ति (तत्त्वज्ञानविकासिनी)
(४७४) प्रशमरतिवृत्ति
६९१, ९३८, १०८४, १६१३, २६०८ (४७३) प्रशमरति ..१३, ३५, ३८, २४९, ६४०,
( ४७५) प्रशस्तपादभाष्य
(४७६) प्रशस्तपादभाष्यटीकासङ्ग्रह
દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શકર્ણિકાગત સંદર્ભગ્રંથ
_८७२, १०३१, १४०८, १४८८, १६०८, (४९२) १७००, १८५२, २१३५, २३१०, २४७१
१४१४
३०१
१८८६
.....
.....
बृहद्रव्यसङ्ग्रहवृत्ति .
बृहन्नयचक्र देखिए
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