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धर्मशर्माभ्युदयस्यैकोनविंशसर्गस्थचित्राणामुद्धारः।
९ गोमूत्रिकाबन्धः। श्लोक:७८) स वा जि सिंधु रे ग्रा मा न्सं घ मा द भिधा वितः
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ज वा द सिं स्फु र डा मा बि श्रं न्ना द म पा ततः
३ सर्वतोभद्रम्। (श्लोकः८६) भर या म म या भा र जि ताद द ता जिरं या ता क्षमा मा क्ष ता या म द मा र रमा दम म द मा र र मा दम या ना क्षमा मा क्ष ता या र जि ना
अर्धभ्रमः।(श्लोकः ८४) ज घा न क र बा ली य घा ते ना रे ब ल ब ली
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४ मुरजबन्धः। (श्लोकः९४)
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