Book Title: Dharm sharmabhyudayam
Author(s): Harichandra Mahakavi, Kashinath Sharma,
Publisher: Nirnaysagar Yantralaya Mumbai

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Page 266
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमहावीरस्वामिस्तोत्रम् । श्रीजिनवल्लभमूरिविरचितं ___ समसंस्कृतप्राकृतं श्रीमहावीरस्वामिस्तोत्रम् । भावारिवारणनिवारणदारुणोरु कण्ठीरवं मलयमन्दरसारधीरम् । वीरं नमामि कलिकालकलङ्कपङ्क__ संभारसंहरणतुङ्गतरङ्गतोयम् ॥ १ ॥ बाढं विसारिगरिमा महिमा तवेह ___ बुद्धो न देवगुरुणा न पुरंदरेण । तं कोऽवगन्तुमखिलं जडिमालयोऽह__मिच्छामि किं तु तव देव गुणाणुमेव ॥ २ ॥ सन्तो गुणा गुणिगुरो तव हासहंस__नीहारहारधवला बहुलीभवन्ति । ते सोमसूरहरिहीरविरञ्चिबुद्ध मायाविदेवनिवहेन मलीमसा वा ॥ ३ ॥ देवं भवन्तमवहाय दुरन्तमोह__ संछन्नबुद्धिमिहिरा इह भूरिकालम् । संसारनीरनिलये बहु संसरन्तो विन्दन्ति जन्तुनिवहा नहि सिद्धिभावम् ॥ ४ ॥ सासूयसंगमसुरोरुसमूढदम्भ___ संरम्भसंतमससंचयचण्डभासम् । हिंसासरोरुहतमीरमणं चिरोढा हंकारकन्दलदलीकरणासिदण्डम् ॥ ५ ॥ वन्देऽहमिन्दुदलभालममन्दभद(?) संदोहमन्दिरवरं दरकन्दकोलम् । १. स्तोत्रस्यास्यैकमेव पुस्तकं संवेगिसाधुवरश्रीशान्तिविजयमुनिभिरस्मभ्यं दत्तम्. पुस्तकान्तरं टीका वा नोपलब्धेति क्वचित्क्वचित्संदेह वर्तते. For Private and Personal Use Only

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