Book Title: Dharm sharmabhyudayam
Author(s): Harichandra Mahakavi, Kashinath Sharma,
Publisher: Nirnaysagar Yantralaya Mumbai

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Page 268
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रीमहावीरस्वामिस्तोत्रम् | निःसीमभीमभवसंभवरूढगूढसंमोहभूवलयदारणसारसीरम् । वीरं कुवासमलहारिसुवारिपूरमुत्तुङ्गमारकरिकेसरिणं नमामि ॥ १३ ॥ भिन्दन्तमन्तरणकारणमन्तरायं संरुद्धरोगसमवायमलोभमायम् । उच्छिन्नमोहतिमिरावरणावसायं वीरं नमामि नवहेमसमिद्धकायम् ॥ १४ ॥ वन्दारुवासवसुरासुरभासुरालंकारामलच्छविपरागसमुद्धराणि । सेवामि ते चरणवारिरुहाणि भूरिसंदेहरेणुहरणोरुसमीर वीर ॥ १५ ॥ अञ्चामि ते चरणतामरसालिलीला संघायि पञ्चममहागणधारिवाणी (?) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संबन्धबुद्धिकरुणालयलिङ्गसिद्ध संघावलीदमिगणं चरणं चरन्तम् ॥ १६ ॥ (?) उच्चण्डधारकरवालकरारिवार विच्छिन्नकुम्भगलनालकरालनागे । कुन्तासितोमरविभिन्नपरासु देहे कङ्कालसंकुलभयावहभूमिभागे ॥ १७ ॥ आसन्नसिद्धिकमलापरिरम्भलम्भ सावेगहुंकरणडामरमुण्डरुण्डकीलाललालसविहंगकुलावरुद्धे । आबद्धबाणविसरे सहसा नुवन्तो वीरं नरा रणभरेsरिबलं जयन्ति || १८ || ( युगलकम् ) दम्भोलिपाणिमिव मोहगिरिं किरन्तम् । For Private and Personal Use Only ९९

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