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१३०५ ]
बत्तीस पमायाणं अज्झयणं
१२९८. 'जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं तैसि खणे से उ उवेइ दुक्खं । दुर्द्दतदोसेण सएण जंतू रसं न किंची अवरज्झई से ॥ ६४ ॥ १२९९. एगंतरतो रुइरे रसम्मि अतालिसे से कुणई पओसं । दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले न लिप्पई तेण मुणी विरांगे ॥ ६५ ॥ १३००. रसाणुगासाणुगए ये जीवे चराचरे हिंसइ गरूवे ।
चित्तेर्हि ते परितावेइ बाले पीलेइ अत्तट्टगुरु किलिट्ठे ॥ ६६ ॥ १३०१. रसाणुवाए र्ण परिग्रहेण उप्पायणे रक्खण-सन्निओगे ।
वए विओगे य कैहिं सुहं से संभोगकाले य अतित्तिलाभे ? ॥ ६७ ॥ १३०२. रसे अतित्ते” य परिग्र्गेहम्मि सत्तोवसत्तो न उवेइ तुट्ठि ।
अतुट्ठदोसेण दुही परस्स लोभाविले ययई अदत्तं ॥ ६८ ॥ १३०३. तण्डाभिभूयस्स अदत्तहारिणो रसे अतित्तस्सं परिग्गहे य ।
मायामुखं वड्ढइ लोभदोसा तत्थावि दुक्खा न विमुच्चाई से ॥ ६९ ॥ १३०४. मोसस्सैं पच्छा य पुरत्थओ य पओगकाले यदुही दुरंते ।
एवं अदत्ताणि समाययंतो रसे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ॥ ७० ॥ १३०५. रसाणुरत्तस्यै नरस्स एवं कैतो सुहं होज्ज कयाइ किंचि ? |
तत्थोवभोगे वि किलेसदुक्खं निव्वत्तैए जस्स कर ण दुक्खं ॥ ७१ ॥
१. जे आवि दो० न किंचि रसं भव' ला १ । जे यावि० रसं न ला २ पु० ॥ २. तंत्री ख' सं २ | सिक्खणे पा० ने० शा० ॥ ३. 'तू रसो न सं २ | 'तू न किंचि रसं अव सं १ ला १ पा० शा ० ॥ ४. अवरुज्झ शा० ॥ ५. रत्ते रुइरं र° सं १। रते रुइरम्मि रसे अ° पा० । 'रत्ते रुइरंसि रसे अ° शा० ॥ ६. अयालि० ॥ ६५ ॥ ला १ ला २ । ७. से० ॥ ६५ ॥ ० ॥ ८. विरागो ने० शा० । वीयरागो सं १ ॥ ९. य० ॥ ६६ ॥ ला २ पु० ॥ १०. 'चरे० ॥ ६६ ॥ ला १ ॥ ११.८० ॥ ६७ ॥ ला १ ला २ पु० ॥ १२. कहं सं २ गहे य स शापा० ॥ अतित्तस्स० ॥ ६९ ॥ स० रसे अति ला स्स० ॥ ७१ ॥ ला २
विना ॥ १३. ते अ परि० ॥ ६८ ॥ ला १ ला २ पु० ॥ १४. १५. लोभाइले सं १ सं २ ॥ १६. आइयइ सं २ ॥ १७. तण्हा० रसे ला १ ला २ ॥ १८. अत्त सं २ ॥ १९. रुप० ॥ ६९ ॥ ५० ॥ २० १ ला २ ॥ २१. पुर० रसे अति पु० ॥ २२. समाइयं सं२ ॥ २३. पु० ॥ २४. कत्तो० ॥ ७१ ॥ ला १ ॥ २५. ई सं १ सं २ ने० विना ॥
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