Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 704
________________ सद्दो " =शस्त्र उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो ६११ सुत्तंकाइ सुत्तंकाइ सत्तवीस १६९० सन्नाइपिंड पृ० १६८ टि.६ सत्तवीस १६९१ सन्नाणनाण-सत्+नाना+ज्ञान ७८६ सत्तहा १६०९ सन्नायपिंड ५४८ सत्तावीसइ १३९० सन्निओग १२६२, १२७५, १२८८, सत्ति ११५३ १३०१, १३१४, १३२७ सत्तु = शत्रु ६३०, ८७२ तः ८७४, १२४६ सन्निनाय=सन्निनाद ७९९ सत्तोवसत्त १२६३, १२७६, १२८९, सन्निभ ३१८, ८१७, १३७४, १३७६ तः १३०२, १३१५, १३२८ सस्थ= शास्त्र ४७, ७२५ सन्निय ३०० तः ३०२, १५१८-१९ " =सार्थ-गणिमधरिमादिभृतवृष सन्निरुद्ध २०२, ८०१, ८०३, ११८१ भादिसवात ११९३ सन्निवेस ११९३ ७२३, ७४७, १४४३ सन्निवेसणया ११०२, ११२७ सत्थरगहण १७१९ सन्निसेज्जागय __ ५१२ [४]] स-दार सन्निहि १७६, ६३५ सदावरी=त्रीन्द्रियजीवमेद पृ०३१२ टि०२५ सपनवसिय १४६४, १५३१, १५३९, सदेवग=सदेवक- सदेव १२५३ १५५३, १५६४, १५७३, १५८३, स-देस स्वदेश १५९२, १६०२, १६११, १६२६, सद्द २३५, ५०८, ५१२[६-११], ५२२, १६३५, १६४२, १६५१, १६७० ७७७, १०७६, ११४७, ११६४, सपरिकम्म पृ० २६० टि. १३ १२६९ तः १२८१, १३४० सपरिजण ७६१ * सद्दह सपरिस ८०८, ९६५ - सद्दहइ १०८३, १०९१ सपाहेज - सद्दहइत्ता पृ. २४३ टि. १ सपाहेय पृ० १७८ टि० १६ - सद्दहाइ १०८२ स-पुज%सत्पूज्य १५८ -- सद्दहिऊण १७०१, पृ० ३२८ टि० १६ सपुण्ण%3D सपुण्य १४७ - सद्दहित्ता ११०१ सपुरजणवय २३२ - सद्दहे १०७, १०९९ सप्प १२८४ सद्दहणा ३०९, १०९२ स-प्पडिकम्म पृ० २६० टि. १३ सद्दहंत १०७९ स-प्पभ पृ० २८६ टि०२ सद्दहंतय स-प्परिकम्म सद्दाणुवाइ पृ० १६३ टि०३ १२०२ सद्धम्म ११५ सफल ४१६, ४६६ सद्धा ९७, १०५-६, २४८, २८७, ३७१, सबल =शबल-परमाधार्मिकविशेष ४६९, ११०२-३, ११०५ ,, ,-क्रियाविशेष १२२८ २६, १३६, ५१२[४] सबंधव सनियाण १७०९, १७११ सब्भाव १०७९ सना १२१९ । सब्भावपच्चक्खाण ११०२, ११४३ ३१० ११८९ सप्पि सद्धि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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