Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 702
________________ सो वेयणीय वेयमुह वेयरणी वेयवि arfar : वेदविदा (तृ० ए० व० ) वेयविदो : वेदविदः (प्र० ब० व० ) वेयविया = वेयसां = वेदसां - यागानाम् वेयंत वेयाल वेयावच Parasa वेयावडियट्टयाए = वैयावृत्त्यर्थम् वेर वरत्तिय वेणुबद्ध वेरुलिय वेवमाण वेस = द्वेष्य वेस = वेश वेसमण वेसालिय वेसालीय वेस्स = द्वेष्य ** वोच्छ - वोच्छं उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुकमो सुत्काइ १३५२, पृ० २५७ टि० ४ ९६३ ६६४, ७३९ ९५६ ९५९, ९८८ ४४९ ४९६ ९६८ पृ० ९७ टि० १० ७४७ १००४-५, १०२७, ११०२, ११४५, १२०६, १२०९ - वोच्छामि - वोच्छामिं वैदेहि = विदेहिन् वोचत्थ वोच्चत्थ उ. ३९ Jain Education International ३९१ ३८३ १६७ १०१५ ११८ ७७५, १३७५, १५२८ ८२२ २८, ४२४, पृ० ८९ टि०२ पृ० ११९ टि० १३ ८२८ पृ० ११० टि० १६ १७८ २९, पृ० ८८ टि० २३, पृ० १४५ टि०९ पृ० १२६ टि० ८ पृ० ११६ टि० १४ २१३ १४६३, १५३०, १५६३, १५७२, १६१०, १६२५, १६३४, १६४१, १६६९ ९४४, १२०५, १३४६, १४१०, १४९९, १५५८ पृ० २९० टि० १६, पृ० २९१ टि०६ सदो - वोच्छामी * वोच्छिद - वोच्छिद - वोच्छिदइ - वोच्छिदित्ता वोच्छेय वोच्छेयणा वोदाण: योयाण = वोसग्ग वोस काय * वो सिर - वो सिरे वसग्ग व्व इव = व्यवदान व्व = अप्यर्थे व्व = वा सई : = सकृत् ,, स्वयम् सई = सदा सकास * सक्क - • सकेइ सक = शक ६०९ सुत्तकाइ १४१४, १४१७, १४२१ ३१८ ११०४, ११२२, ११३७, ११४७ ११३७ ११०५ १०२९ पृ० २४३ टि २२, पृ०२४९ टि० १४-१५-१७ ११०२, ११२९-३० ९४३ पृ० २३३ टि० १९ १३९, १८७, ४७७, ४८८-८९, ६४० - ४१, ६९१, ७८२, १०८६ १११४, १२७१ १५१ ४७१, पृ० १४१ टि० २० १३२, ७३५ पृ० २९४ टि० १ सउण स- उत्तमंग ३८८ स-ओरोह = सावरोध- सान्तः पुर ७६१ स- कम्म = स्वकर्म ४३०, ४४३, ४४६, ६५८ स-कम्मुणा = : स्वकर्मणा स- कवाड ११९, १६४ १४३५ १३२ स- काम सकाममरण १३१, १४६, १६१ ४०४ For Private & Personal Use Only १०४१ ४०१, १४५० १९६ ६७० १२६ २३४, २८७, २८९, ३५०, ५९४-९५ www.jainelibrary.org

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