Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सद्धि
६१०
पंचम परिसिद्ध सद्दो सुत्तंकाइ । सद्दो
सुत्तंकाइ सक्कय = सत्कृत पृ० १५६ टि० १६
१०३८-३९, ११०२, ११२०, सक्कररस
१३८५
१२०६, १२१०, १२३७ सकरा-शर्करा-पृथ्वीकायप्रभेद १५२५
३४५ सकराम शर्कराभ-नैरयिकभेद
सड्ढा= श्रद्धा सकार
१४४९ सड्ढि = श्रद्धावत्
१५२, १६० सक्कारपुरकारपरीसह
सढ १३८, १८३, १९५, १०५२, १३९३ सक्किय= सत्कृत
सण
१३७८ सकिया = सत्किया पृ० १५६ टि. १६ सणप्पय
१६३२ सक्ख% सख्य
सणंकुमार ५८७, १६६२, १६७६ सक्खं = साक्षात् ९२, २८९, ३९६, सणाह
७१९, ७५८ ५९४-९५, ८२८ सण्णिणाण = संज्ञिज्ञान-जातिस्मरणमतिज्ञान सक्खाय% स्वाख्यात २७२
६१२ सग= सोदर्य, स्वक ७२९-३० सण्ह [ पुढवी]
१५२३ सगर
सत%स्वक पृ० २७८ टि ८, पृ. ३०६ सगास ३७५, पृ० १४१ टि० २३
टि. १-२५, पृ० ३०८ सग्गंथ पृ० १९८ टि०८
टि० २१, पृ० ३१० टि०२, सचित्त पृ० २५३ टि० ३-५
पृ० ३११ टि० ५, पृ०३१४ सचेल ६३, पृ० ९४ टि० ११
टि० २१, पृ० ३१६ टि. सचेलग पृ. ९४ टि० ११
११, पृ. ३१७ टि. १४ सचेलय
सत-शत
१९१ सच्च १६३, १९८, २४९, ४१५, ५७४, सततं
७८२ ६०३, ६३१, ७७५, ९४५, ९४७, सतावरी=त्रीन्द्रियजीवभेद १५९०
१०८९, ११०२ सत्त= सप्त ३०३,११२४,१२०१,१२२२, सच्चपरक्कम ५७४, ५९९
१५४०, १६०८, १६१४-१५, सच्चमोसा पृ० २२० टि० ७-११
१६७६ तः १६७८ सच्चरय
| " =सक्त १७२, ४८६, १२६३, सच्चामोसा ९४५, ९४७
१२७६, १२८९, १३०२, सजोगि
११७३
१३१५, १३२८, १३३७ *सन
" = सत्त्व ४५९, ४८३, १११९, -सजा ९७२, पृ० २२५ पं० १०
११४४, १३४५, १३६२ -सजति
१४३३ सत्तम सज्जमाण= सजत् ४४७, ११३२ सत्तम [गेवेन]
१६९२ सज्झाण पृ० २३२ टि० ९, सत्तमा [नरयपुढवी]
१६१८ पृ०३२८ टि० १६ सत्तरत्त = सप्तरात्र
१००९ सज्झात=स्वाध्याय पृ० २२९ टि०४ सत्तरस
१६१६-१७, १६८०-८१ सज्झाय ५५४, ९३३, ९७०, १००४-५, सत्तरि
१००७, १०१३-१४, १०३१ । सत्तविह १३५६, १५२३, १६०८
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