Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 743
________________ सुत्तंकाइ पृ. ३५० टि०३ m . १८ २४[२] पृ० ३४२ टि०६ ७९ [२] ६५ १८ बहु अट्ठमं परिसिटुं सद्दो सुत्तंकाइ सद्दो पारग पृ. ३४९ टि. ४ प्पभिई पारगय प्पभिति पारिद्रावणिया १८ प्पयाण%प्रदान पारिट्ठावणियागार ९९ तः १०२, १०५ °प्पहीण पारिट्ठावणियासमिइ २४[४] *फास पारितावणिया २४[१] -फासेमि पारिसाडणिया फास [कामगुण] पाव ३०, ३६ फासंत पावकम्मोवएस फासेंत पावयण फोडीकम्म पावसुयपसंग बत्तीसा पास= पार्श्वजिन बलाभिओग पासवण २४[४], ९० बलिपाहुडिया पासंड बहिया पाहुडिया २, ३, ७, ११,३४, ३८,४२, बहुदेवसिय ५९,६०,९६ तः १००, १०२ बहुसुभ पित्तमुच्छा ३७, ४६ बहुसो पिहणया पिंडेसणा १५, ३५ बंधण पीलण ७९ [२] बंधंत पुक्खरवरदीव पुक्खल बंभचेरगुत्ति पुढविकाय बंभचेरपोसह बायर पुप्फदंत = पुष्पदन्तजिन बारस पुरिमड्ढ बावीसा पुरेकम्मिया बीजक्कमण पुवामेव = पूर्वमेव बीयकमण पुन्वि ६०,९३ बीयभोयणा पूयणवत्तियाए=पूजनप्रत्ययम् * बुज्झ पेसवणप्पओग -बुझंति पोग्गलपक्खेव ८८ बुद्ध पोसणया ७९[२] बुद्धि बेइंदिय पोसहोववास ८९, ९० बोहि प्पओग ७१, ८८, ९५ । बोहिलाभ बंध ४७ बंभ १५, २६, २५[१] पुण १६, पृ० ३३७ टि. १५ पोसह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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