Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१०३०
उत्तरज्झयणसुत्ततग्गयाणं सहाणमणुक्कमो
६०७ सद्दो सुत्तंकाइ । सहो
सुत्तंकाइ -विहरए
-विजिजा
पृ० ९३ टि० २२ -विहरसी
* विध -विहरामि ८७४, ८७७, ८७९, ८८२, ८८४ -विधा
१०५१ -विहरिजा पृ० २९५ टि. ९ विधमाण
पृ० २३५ टि० ९ -विहरिस्सामि पृ० १५४ टि०३ विसति
१३६८ -विहरिस्सामो
४८७ * विह -विहरिसु
- विहइत्ता
१२३, ७४६ -विहरे पृ. १३२ टि०६ वी =अपि
१३५८ - विहरेज ५१२ [१],५३०,७७७, १२३९ * वीइवय, वीईवय -विहरेजा ५१२ [१-४-६], १४५० - वीइवयइ ११३४, पृ० २४८ टि० २३ विहरओ विहरतः (ष० ए० व०) ९३ - वीईवयइ ११२४, पृ० २५० टि० २० विहरमाण
__ ५१२ [४] वीदंस विहरेत्ता=विहर्ता-अवस्थाता
* वीय (प्र० ए० व०)
- वीइज्जा
पृ. ९३ टि० २२ * विहा
-वीएज
पृ० ९३ टि० २१ -विहाय
पृ० १५३ टि.८ - वीएजा विहाण १५२६, १५३५, १५४३, १५५७, | वीयराग १२५३, १२५६, १२६९, १२८२, १५६८, १५७७, १५८७, १५९६,
१२९५, १३०८, १३२१, १३३४, १६०६, १६२१, १६३०, १६३९,
१३४२, १४०२, १४५२, १६४६, १६५५, १६९९
पृ० २७८ पं० १३ विहार ४४५, ४४८, ४५८, ४७४, वीयरागभाव
११३८ १०३०, ११९३ वीयरागया
११०२, ११४७ विहारजत्ता
७४३, पृ० १७३ टि० २, विहारि
४८५
पृ० १७५ टि. ८-१८ विहि ९३८, १०८८, १२१४ वीरासण
१२०३ * विहिंस
वीरितवीर्य पृ० २८२ टि. २५ - विहिंसइ पृ० १०४ टि० २१ वीरिय
९७, १०६.-७, १०९५ -विहिंसई १३७ वीरिय [अंतराय
१३६० विहिंसग ૧૮૮ वीस
१५०६, १६८३ विहिंसा
११७
१६८४, पृ० १८४ टि. ७ विहीण पृ० १३७ टि० २७ वीसति
१५०३ * विहुण
वीसपुहत्त
पृ. ३०२टि० १२ -विहुणाहि
२९३ * वीसस विहूण ३७३, ४७१, ७५१, १०९३ -वीससे
१२२ विहेडयंत
वीससणिजरूव
११४४ विछिय
१५९९ वीसुय = विश्रुत पृ० १७६ टि०४ * विंज
वीर
वीसइ
वुइय
५७६
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