Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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एत्थ
५०४
पंचमं परिसिटुं सहो सुत्तंकाइ । सद्दो
सुत्तंकाइ एगओ= एकतः
एगंतसोक्ख
१२३६ एगखुर १६३२ एगीभाव
११४१ एगग=एकक १४३७ एगीभूय
पृ० २५१ टि०१७ एगग्ग =एकाग्र ११५५, ११७७ एगूणपण्ण
१५९३ ऐकाय्य ११४१, ११५५, ११५८ एगूणवन्न
पृ० ३१३ टि०३ एगग्गचित्त ११३२ एगेग
पृ० १२८ टि० १६ एगग्गमण १४३२ एजंत
३६३ एगग्गमणसन्निवेसणया ११०२, ११२७ एत्तिय
४३९, ११९४ एगग्गहिय
पृ० २६७ टि ०४ एत्तो १४६, ६५२-५३, ६७८, ९४४, एगचर
१२०५, १३८० तः १३८९, एगचित्त
७४१
१४१०,१४६३, १४९९, १५३०, एगच्छत्त पृ० १७४ टि. १
१५५८, १५६३, १५७२, १६१०, एगछत्त
१६२५, १६३४, १६४१ १६६९ एगतीसइ
३७७, ५१३, ५५८ एगत्त
१४६३, १५१७ एमेए = एवमेतौ एगदव्व १०७० एमेय = एवमेतत्
१०८२ एगपक्ख
एमेव = एवमेव ४५९, ७५३, १२४०, एगब्भूय
१२४७, १२६७, १२८०, एगभूय पृ० १८५ टि. १०
१२९३, १३०६, १३१९, एगमण ११८०, १४३२, १४५३
१३३२, १३५२, १३५८ एगमेग ४०९,पृ. ३०४ टि. १३ * एय एगय=एकक ७०, ४३१ - एयति
पृ. १९५ टि.८ एगयर = एकचर
एय, एत एगया
५६, ६३, ९९, १०० - एअं पृ० १०२ टि० २, पृ० १०५ टि० १९ एगराइ = एकरात्रि १५२, पृ० ९५ टि. १८ -एए एते ९६, १२९, २३८, ३९१, एगराति% , पृ० ९५ टि० १७
५९७, ६०२, ८०३-४, एगराय= एकरात्र
८०६, ९८४, १०७८, एगविह १५२९, १५३८, १५५२, १५७१
१४६०, १४६८, १४७२, पृ. २६५ टि० १४
१५२२, १५२९, १५३६, एगंत २३२, २४४, ८२२, १२०४,
१५४४, १५६०, १५६९, १२३७
१५८२, १६०१, १६०९ एगंतदिट्ठि
१४५९ एगंतर
१७०५ एगंतरत्त
१२६०, १२७३, १२८६, ,,एतान् ५५०, १०८३, १२५२ १२९९, १३१२, १३२५ ,,एतानि
११७३-७४ एगंतरय = एकान्तरत
११३३ - एएण १२६८, १२८१,१२९४, १३०७, एगंतहिय १२३५, १२५०
१३२०, १३३३, १७१४
एगवीसा
- एए = एतौ
=एताः
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