Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सदो
उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो सुत्तंकाइ । सद्दो
सुत्तंकाइ निविण्णकाम
६१५ निसीहिया
९९७, १००० निन्वितिगिच्छा पृ० २४१ टि० १३ निसीहियापरीसह निन्वितिगिंछा १०९५ निसूदण
पृ० १७४ टि० २ निम्वियार पृ० २५४ टि. निसूयण
पृ० १७३ टि० २ निव्वियारत्त
निसूरण निव्विसय
निसेज्जा
५३६, ५४८, ८५३ निव्वुयहिथय
१११४ *निसेव निव्वेग = निर्वेद पृ० २४३ टि० १०, पृ० -निसेवए
२२०, ५१३ २४४ टि० १४-१७-१९ निसेवणा
१२३७ निव्वेद पृ० २४४ टि. १४-१७ निसेवय
३०८-९ निव्वेय = निर्वेद ५६८, ११०२, ११०४ निसेविय निसग्ग
१०८०-८१ निसेवियव्व
१२४४ निसग्गरुड
१०८२ निस्सग्ग पृ० २३९ टि० १४, पृ० २४० निसण्ण
टि०६-९ निसन्न
निस्सल
१०४४, ११७९ *निसम
निस्संक • पृ० १८१ टि० ३-४ -निसम्म ३२७, ५११, ५१२[१], ७०२ निस्संकिय
१०९५ निसंत = नि+शान्त
निस्संग
पृ० १८६ टि० २३ * निसाम
निस्संगत
पृ० २५० टि० ४ -निसामित्ता २४१, २५९, २६१ निस्संगत्त
११३२ -निसामिय पृ० १६७ टि०५ निस्संगय
पृ० २५० टि० ४ -निसामिया
निस्संस
१३९२ -निसामेत्ता २३६, २३९, २४५, २४७ निस्सिय
२१८, १४४२ २५१, २५३, २५५, २५७, निस्सेस = निःशेष
२११ २६५, २६७, २६९, २७१, ,,= निःश्रेयस
२१३, ८०६ २७३, २७५, २७८, २८० * निहण निसिजा __ पृ० २०८ टि० १६ -निहणिऊण पृ० २११ टि० १३ निसीयण
-निहंतूण * निसिर
निहय
३९१ -निसिरे १२५५ निहित
पृ० १३३ टि० १९ * निसी
निहिय
३४२ -निसीइज पृ० ८८ टि० १ निहुय
६४६, ७४१, ८३० -निसीएज
निंदणया
११०२, ११०८ -निसीएज्जा
३८९, ६९५, १००१ -निसिज्जा = निषिदेत् २१, पृ० ८९ टि० ७ निबरस
१३८० -निसीयइ
पृ० २०४ टि० २३ *नी -निसीयई
५४२, ८२२ । -नेइ
निंदा
४२८
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