Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सो
विइगिच्छा पृ० १५९ टि०
टि० ५, पृ०
विइय
विउ
* विउक्कम
-
- विउक्कम्म
- विओकम्म
* विउरुव्व
- विउरुव्विऊण
* विरूव
- विउरुविऊण
विउल
* विउव्व
- विजव्विऊण
विउब्वि
विउस्सग्ग
उत्तरज्झयणसुत्तं तग्गयाणं सद्दाणमणुकमो
सो
विगप्पण
विगय
विगयभय
विगयमोह
विगयसोग
विगराल
विकपणा
विकराल
विकहा
सुकाइ
१८, पृ० १६०
१६१ टि० १९
पृ० २१३ टि० २६
८४३, ९५९, ९८८
""
विगप्प
१४४
पृ० १०५ टि० १२
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विओग १२६२, १२७५, १२८८, १३०१
१३१४, १३२७ ७४०
१३५१
१३४१
३६५
१७१५, पृ० २१९ टि० ४-८,
पृ० २६४ टि० १५
विकत्ता = विकरिता (प्र० ए० व० ) विकप्प
२८३
पृ० १२५ टि० १७
४६, १९९, ३२०, ४७८,
४९०, ७२२, ७३५, ७५५
पृ० १२५ टि० १७
१११, ४३८ १२०६,१२१२
१३३८
विकार * विकिंच
दृश्यतां 'विगिंच '
- विकिंच पृ० १०० टि०५, पृ० ११० टि०८
विकोविय
७६५
विक्कय
१४४६
विक्किणंत
१४४५
विक्खायकित्ति
५८९
विक्खित्ता = विक्षिप्ता-प्रतिलेखनादोषभेद १०२१ विगइ = विकृति - घृतादि
= विगति
५४४, १७०४ १३३५ पृ० २८१ टि० १८, पृ० २८२
टि० २२
विगलिंदियता * विगिंच
- विगिंच
विग्गह
विग्घ
विचिगच्छा विचिगिंछा
विचित्त
""
* विचिंत
- विचिंतए - विचिंता
- विचिंतिय
- विचिंतेइ
विच्छिण्ण = विस्तीर्ण विच्छित = वृश्चिक
विच्छिय:
विच्छुय
विजढ
विजय
""
= चतुरिन्द्रियजीवभेद
=
=
=
विजयघोस
-
* विजह
- विजहित्तु
* विजाण
विजय- बलदेव
"
- विजाणिया
—
"
विज्जा विज्ज = वेद
सुत्तंकाइ
૬૮
२५०
२९
२११, ४९३, ७६३
११३१
पृ० १३६ टि० १५
३०७
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१०९, पृ० ११० टि०८
१०४
७६०, ११०७
पृ० १५९ टि० १८
५१२ [२]
१७०४
१६००
७६, १०४५
पृ० १२४ टि० २२
"
"
१५३४, १५४२, १५५६, १५६७, १५७६, १६२०, १६२९, १६९८ ११०२, ११७३ ६०० अनुत्तरदेव १६६७, १६९५ ९५६-५७, ९८६-८७, ९९४,
९९५
६०१
४१४
८१६, १०६२ पृ० ३०३ टि० १ पृ० ३१३ टि० २६
""
"
"
२१०
पृ० ११४ टि० ३
२७७
पृ० १३७ टि० २४
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