Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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विदु
१२३७
उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो
६०३ सहो सुत्तंकाइ । सद्दो
सुत्तंकाइ वित्त
१२१, १३९, १८६, ६९२ * विप्पजह " =प्रतीत, प्रसिद्ध ४४ -विप्पजहित्ता
११७५ * वित्तास
-विप्पजहे
२१२, २२७ -वित्तासए
विप्पजहणा
११७५ वित्तासिय
पृ० १६४ टि०४ विप्पमुक्क १, २४४, ३२८, ५१०, वित्ति-वृत्ति ६३८, १४४६
७६३, ७८७, १३४४ वित्तीनिजहण पृ० ३२६ टि. १९ * विप्पमुच्च वित्थर
-विप्पमुच्चइ
१२१३, १२३४ वित्थाररुइ
१०८०, १०८८ - विप्पमुच्चई वित्थिण्ण ९४३, १५१० -विप्पमुच्चति
९५२ * विद
विप्परियास
७४९ -विदित्ता
विप्पलाव
४३९ -विदित्तु पृ० १५६ टि. ८ विप्पसन्न
१४७ विदिय
५७७, ८९७ * विप्पसी ७७५, पृ०३२८ टि० १६ -विप्पसीएज
. १५९ विदेह
विप्फुरंत ६५९, पृ० १८२ टि० १९ विद्ध - वृद्ध
विबंधण
पृ० १९४ टि. १२ * विद्धंस
विभत्ति
१४५३, १४९९ -विद्धंसइ
३१७ * विभय = विभज विद्धंस
३५१ -विभयति *विनिवाय
विभाग १०७७, १५३०, १५६३, -विनिवाययंति पृ० १३९ टि. ३
१५७२, १६१०, १६२५, . * विनिवार
१६३४, १६४१, १६६९ -विनिवारयति ३८३ विभावण
१०३१ *विन्ना
विभिन्न
६१०, १२९७ -विनाय
विभूसा
__ ५२१ विन्नाण
८६७, १७१४
विभूसाणुवाइ = विभूषानुपातिन् ५१२ [१०] विल्नेय
विभूसिय विपक्खभूय
४५४ विभूसियवत्तिय पृ०१६२ टि० १९ *विपरिधाव
विभूसियसरीर
५१२ [१०] - विपरिधावइ पृ० २१४ टि. १७ * विमग्ग -विपरिधावई
-विमग्गह
पृ० १४० टि० २२ विपाव
पृ० १४१ टि. २७ -विमग्गहा विपुल १८०, २६६, ३५८, ११४४ विमण
३८९ विप्प ४५०, ९५३, ९५९ विमल
४०५-६, ७६ १, ९१२ विप्पओग ४१४, पृ० २५१ टि० ४-६ विमाण
१११६ विप्पच्चय ८६०, ८६६ । विमाणवासि
४४२
४२९
८५०
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