Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 697
________________ ६०४ पंचमं परिसिटुं सहो सुत्तंकाइ । सद्दो सुत्तंकाइ विमुक्खण पृ० २२९ टि० ६, पृ० २३२ * वियह दृश्यतां 'विजह' टि० २३, पृ० २३३ टि० २०, -वियहित्तु पृ० ११६ टि० ५ पृ० २३४ टि. ४ * वियाण विमुक्खणी पृ० २२८ टि. १ -वियाणह १९३, ४६४ * विमुच्च -वियाणाइ १०५९ -विमुच्चई १६९, १२६४, १२७७, १२९०, -वियाणासि १३०३, १३१६, १३२९, -वियाणाहि ११७ १४५१ -वियाणिजा पृ० २९३ टि०६ विमोक्ख पृ० २८०, टि० २१ -वियाणित्ता ४९१, ९७४ विमोक्खण ९६२, १००५, १०१६, - वियाणिया २००,७०३, १३७०, १४३१ १०३३, १०३६, १०४१, - वियाणेइ पृ० २३६ टि० १५ १०४४ - वियाणेजा १४३३ विमोक्खणट्ठा= विमोक्षणार्थम् २११, ४४५ वियाणमाण विमोक्खणी ६९०, ९९६ वियार = विकार पृ० २८० टि० ३ * विमोय वियाहिय १७८, ९२८, ९४४, १०४७, -विमोएइ ७३३, पृ० १९१ टि० २५ १०७९, १०८८, १०९०, १२०५, -विमोएंति पृ० १९२ टि. ९-२१ १२०८, १३४५, १३५५, १३६०, -विमोतेइ पृ० १९२ टि० २१ १३६५, १३६७, १४५४, १४५९ -विमोतेंति , टि० १२ तः १४६१, १४६५-६६, १४६९, -विमोयंति ७२६ तः ७३० १५११, १५१३, १५२०, १५२३, विमोयण पृ० २८० टि०६ १५३८, १५४५, १५५२, १५५८, विमोयणया ११७३ १५६१-६२, १५६५, १५७१, विमोह १५८२, १५८४, १५९१, १५९३, विम्हय ७०८, ७१६ १५९५, १६०३, १६०५, १६०७, विम्हावित १७१५ १६१०, १६१२ तः १६१९, विम्हिय ७१६ १६२२, १६२५, १६२७-२८, *विय = विद् दृश्यता 'विद' १६३४, १६३६-३७, १६४१, ४९७ १६४८ तः १६५०, १६५२-५३, वियक्खण ७०१, ७८२, ८३६, १६६१, १६६४, १६७४-७५, १००६, १०१२ १६९६-९७, १७०० वियड ५४ विरइ ६३०, ६३३, १११०, १२१५ वियडी पृ० ३१३ टि. २९ * विरज वियप्प पृ. २८१ टि. १८ -विरजइ ११०४-५, ११४७ विययपक्खि पृ० ३१८ टि. १२ विरजमाण ११०४, ११०८, १३४० वियर = विवर ७२३ विरत्त ४४५, ९९३, १२६८, १२८१, *वियर __ १२९४, १३०७, १३२०, १३३३ -वियरिजई ३६९ । विरत्तकाम ४२३, ४४१ - विइत्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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