Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 692
________________ सहो ३९५ उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो सुत्तंकाइ सहो सुत्तंकाइ वसाणुग ४११ -वंद २८३ वसीकय २८४ -वंदई २८७, ५५८ वसुदेव ७८८ - वंदए पृ० १२६ टि० २, पृ० १७० टि०१ वसुहा ७६३, पृ० १३९ टि. १२ -वदंति पृ० २२३ टि० २६ वसुहारा -वंदंती वस्स १३३८ -वंदिऊण २८८, १०४०, १०४५ * वह - वह -वंदित्ता ७१०, ८१४, १००३ -वहई १२०७ | -वंदित्ताण १०१७,१०३२,१०३५-३६, -वहित्ता पृ. ३२८ टि. २२-२४ १०४४, १०४६ -वहेह - वंदित्तु १०१६ * वह = वध वंदण ११०२, १४४९ -वहती पृ० १६९ टि. १० वंदणय ४९९, १११२ -वहेइ ५५३, ५५५ बंदमाण -वहेई पृ० १६९ टि० १५ वा = वा १४,९४, १३५, १५७, २२०, * वह = व्यथ् ३७७, ३८७, ४३०, ५००, ५१२ - वहती पृ० १६९ टि० १० [२ तः ११], ५८१, ६३०, ६८४, -वहिजई ५०८ ७१२, ७३२, ८३२, ८४७, ९३९, - वहेइ ९७६, १००५, १०९७, ११३२, -वहेज ११९८, १२१२, १२५८, १३४०, वह १६, ३८, १९५, २१५, ३७३, ४९७, ११७८, १४३९ वा=इव ६०,१४५,४८२,६५८,६६८-६९, वहण =वहन १०४९ ७४५, १२६८, १२८१, १२९४, वहपरीसह १३०७, १३२०, १३३३ वहमाण १०४९ वा=पूरणे वहिय व्यथित वा= समुच्चयार्थे वंक वा=चेत् १२३९ वंकजड वाअ २४० वंचिय ९४ वाइवादिन् ३३६,११५३, १३९६, वंजण=ध्यञ्जन-अक्षर ११२३, पृ० २०१ १४००, १७१७, टि० १२ वाइय = वाचित १०६१ वंजण = व्यञ्जन-स्निग्धद्रव्य ३९३ " = वादिन् १२५ वंजणलद्धि व्यञ्जनलब्धि-अक्षरलब्धि ४२० ११२३ वाउ १०२५, १५५९,१५७४ तः १५७६ वंत ___३१९, ३८०, ८२९ वाउक्काय २९८ वंतर १६७२ वाउजीव १५६९ वंतासि= वान्ताशिन् - वान्तभोजिन् ४७९ * वागर - वागरे " = वादिन *वंद १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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