Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 682
________________ १९५ ,मित्र उत्तरायणसुतंतग्गयाणं सहाणमणुकमो सुत्तंकाइ । सहो सुत्तंकाइ मुद्दीय = मृद्वीका- द्राक्षा १३८५ । मूढ २९, १६२, २१३, ३९०, ४८४ मुद्धमुग्ध १२७१ मूल = मूल- समीप ७०, ६८३, ७०७, , = मूर्धन् १०५३ १२४७ मुम्मुर १५६१ ,,-मूलधन १९२तः १९४ मुसल -मुलिका ५०२, ७२५ मुसंडि= शस्त्रविशेष पृ० १८३ टि. १० -आद्यकारण ७४२, ११०६, मुसंढि =,, १२४१, १२४३ = वनस्पतिविशेष १५५१ मूलपगडि. १३६१ मुसा २४,९५, ७१८,९७५ १५४८ मुसाभासा मूलिय= मौलिक १९७, १९९ मुसावाइ १३८, १८३ मूलिया = मूलिका मुसावाय ६३१, ११७८ मूसग १२४७ मुसुंढि = शस्त्रविशेष पृ० १८३ टि० १० मेत्त =मात्र १७०, २०२, ४५४, ६७९, वनस्पतिविशेष ९३२, १४५९ मुह ५५, ११९, १४४, ३८८, ४२७, पृ. १३२ टि. १८ __७५१,९६३,९६६,९६८,१०६० मेत्ती १६३ मुहपत्ती १०१८ मेत्तिजमाण मुहपोत्तिया पृ० २३० टि० १८ मेत्तीभाव १११९ मुहपोत्ती मेद १८० मुहरि मेधावि मुहाजीवि मेयन्न = मेयज्ञ १२२, १४१६, १४२४-२५ मेरग १३८४ मुहुत्तद्ध= मुहूर्तार्ध १४०४ तः १४०९ मेरय - ६७५ मुहुँ मुहूं १२७ मेरु ७८२ * मुंच ૮૮૭ -मुच्चइ ११३०, ११४३, ११६०, मेहावि ४५, ६७, ८६, १५९, ७५४, ११६३, ११७५ ८६०, ८६६ - मुच्चई १५१, १५३, २५८ मेहुण ९२, ९७७, ११७८ -मुच्चए २१० मोक्ख ११९, १२४, १७०, ४१६,८६९, - मुचंति • ११०१ १०७८, १०९४, ११०७, १२३६ -मुच्चिना ७३५ १३४३ -मुच्चेज २१६ मोक्खभावपडिवन्न ११३३ -मुंचई मोक्खमा १०६५ -मुंचेजा पृ० १९२ टि. २५ मोक्खमग्गगति पृ० २४२ पं० ११ मुंडरुइ ७४४ मोक्खाभिकंख पृ० २६९ टि. १ मुंडिण १५० मोक्खाभिकंखि ४४७, १२५१ मुंडिय ९८१ । मोग्गर मुहुत्त मेह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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