Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सहो
रेवतक
उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो
५९३ सुत्तंकाइ सद्दो
सुत्तंकाइ रूवरूप-एक
१२२९ लक्खण २२१,२८८,५०१, ७४८, ७८८, रूववई
७९०, ७९२, ७९४, १०६५, रूपंधर = रूपधर
५४९
१०७०, १०७३ तः १०७७, रूवाणुवाइ पृ०६१३ टि.३
१३७२ रूवि १४५६, १४६२, १४६५-६६, लक्खणधर
१७०० लक्खणय पृ. १३६ टि० १३-१८ लक्खिय
पृ० १२६ टि. ४ रेणुया
लग्ग
६७०, ६९२ ८२० * लग्ग रेवतय पृ० २०४ टि० १३ -लग्गइ
पृ० २२८ टि०५ रेवयय
-लग्गई * रोअ, रोय% रुच
-लग्गंति - रोइत्ता
पृ० २४३ टि० ३ लजण-रञ्जन पृ० ११२ टि०६ -रोएइ
१०८१ लजसंजय - रोयइ पृ० १४४ टि० २५, पृ० २४० लज्जु
१७७ टि० ५
८०, ५२० - रोयइत्ता ११०१ लद्धसंजय
पृ० ९३ टि०६ - रोयई ४२०, पृ० १७३ टि० १ लप्पमाण -रोयए ५८३, पृ० २४० टि० १२ रोइंत= रोचमान पृ० २४० टि० १३ -लब्भ
पृ० १३२ टि०३ रोएंत= ,
- लभई रोग
३३०,६१९-२०,६२४ -लब्भामि रोगपरीसह
दृश्यता 'लह' रोगायंक ५१२ [२-३-१०-११] - लद्धं ७३, १०४ तः १०६, ३३८, रोज्झ= पशुविशेष
३४१, ५०६ रोद्द झाण] १२११, १४०१
,३०६-७,३०९, ३३४ रोमकूव
-लभइ
पृ० ११३ टि० १ रोयमाण =रोचमान
-लभई रोयंत रोचमान १०८४ -लभए
पृ० १५१ टि० १८ रोस १७१८ -लभामो
४४८ रोहिणी
७८९, १३८० - लभित्थ रोहिय रोहित-मत्स्यजातिविशेष ४७६ -लभियाण लइय=लात १०१८ -लमे
१२१, ३०८, ४६२ लक्ख-लक्ष
- लभेज
१२५ १०५३ - लभेजा ५१२ [२-३-१०-११], १२३९ * लक्ख
-लभेत्ताणं
पृ० ११८ टि. १४ - लक्खिजइ पृ. ३२८ टि० २२-२४ । -लाभइस्संति उ. ३८
*लभ
७४१
लक्ष्य
४६
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