Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सुत्तंकाइ
मोघ
२२६
५९०
पंचमं परिसिट्ठ सहो
सुत्तंकाइ । सद्दो मोण ४४८, ४७३, ४८२, ४९५,५५९, *याण
दृश्यतां 'जाण' ७४९ -याणंति
१७१३ मोत्ति = मूर्ति पृ० २०३ टि० २०,पृ० २१९ -याणाह
पृ० १३८ टि०२ टि. १ याय=यात-गत
७६२ मोयण
पृ० १०८ टि. १२ रह १३४, ४४२, ४४८, ५१८, ६१८, मोस= मृषा ३७४, ४००, ९४५, ९४७,
१३३६ १२६५, १२७८, १२९१,
७९९ १३०४, १३१७, १३३० रइसह
७८४ मोसलिमर्शवत्-प्रतिलेखनादोषमेद २१ * रक्ख मोह १२१, २११, ४६१, ४९३, ५००, - रक्खेज
१२८ ६११, ७६३, ७७४, ७८२, १०८४, रक्खट्ठा=रक्षार्थम्
५१३ - १२३६, १२४०-४१, १२४३, रक्खण
१२६२, १२७५, १२८८, __ १३३५, १३३९, १७०८
१३०१,१३१४, १३२७ मोह = मोहनीयकर्म
१३४७ रक्खमाण रक्खस
५२८, ८५६ १६५९ मोहगहणय
पृ० ११६ टि. १ रक्खसी मोहगुण
१२७ रक्खि - रक्षिन्
१२६ मोहट्ठाण १२३२ रक्खिय
६५, ४९६ मोहण १३५५ रच्छा=रथ्या
११९४ मोहणिज २२९, ११०८, ११२२, ११३१, रज १८९, २३०,५६२,५६९,५८७, ११७३, १३५३-५४, १३६६
५९४,५९७, ६०० मोहरिय ९३४ रज्जमाण
११०५ मोहानिल ४५१ रजंत
६१४ मोहायतण १२४०
४९०,५७०, ७७७ य १०, १००, १०६, १९२, २११, रण
४७१ २९४, ३०४, ३९५, ४०२, ५००,
९८१, पृ० १८५ टि० २० ५०३, ५९६, ६१४, ६९९, ७१०, रण्णा=राज्ञा
३८१ ७९८, ८०३, ८९८, ९०१, १००१, रत्त ५४१,१२६०, १२७३,१२८६, १२९९, ११००, ११०३, ११९५, १२०१, १३१२, १३२५, १७०९ तः १७११ १३००-१, १४००-1, १५०५,
१०१२,१०१४१६०७, १७००, १७०३ रन
१३१० यड =कृत २२, पृ० ९० टि० १२ रना=राज्ञा यर
पृ० ८५ टि. ४-८ रनो = राज्ञः यरिया=चरिया
* रम यस ७८५, ७९१, ८०७, ८३८, ८४२, -रमइ पृ० ८६ टि. ८,पृ० २२४ टि०९ ८४५, ८५४, ९२२, ९५३ -रमई
५, ९७२ याच
- रमए
रण
३८.
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