Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पक्क
७४८
उत्तरज्झयणसुतंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो सहो सुत्तंकाइ । सहो
सुत्तंकाइ -पउस्से १२७ - पकुव्वा
पृ० १३२ टि. १६ * पउंज
-पकुव्वई
३३४, १०५८ -पउंजइ
पृ० १२२ टि०९ -पउंजई २५८ पक्ककवि?
१३८३ -पउंजंति
२२१, १७१६ पक्कपुव्व -पउंजेज
* पक्कम पउंजमाण
-पक्कमई
१०९, ६८६ *पऊस दृश्यतां 'पउस्स' 'पओस' -पक्कमंति
१०६१, ११०० -पऊसए पृ० ९४ टि०६ पक्ख = पक्ष
१८, ३७० पएस
" ,-पतत्त्र
१०६१ पएसग्ग १२२४, १३६१-६२, १३६९ ,, ,-मासार्द्ध १५२, १००९-१० पओग
१२६५, १२७८, १२९१, पक्खपिंड
१३०४, १३१७, १३३० * पक्खंद पओयण
८६८, १३३९ -पक्खंद * पओस दृश्यतां 'पउस्स' 'पऊस' पक्खि १७६, ४३७, ४७१, ६६३, -पओसए
६८१, ७०६, १२४४, १६४० पओस प्रदोष-प्रद्वेष २१०, ३९१, पक्खिणी
૪૮૨ १२६०, १२६७, १२७६, १२८०, पगड%= प्रकृत
४१४ १२८६, १२९३, १२९९, १३०६,
, प्रकट
४१५ १३१२, १३१९, १३२५, १३३२,
पगडि
११२४, १३५४, १३६१
* पगब्भ पओसकाल = प्रदोषकाल १०१४ -पगब्भइ
पृ० १०४ टि. १७ पकप्प
१२३१ - पगब्भई *पकर
पगय=प्रकृत
पृ० १४४ टि. २ -पकरेइ ११२४, १३४२ * पगर
दृश्यतां 'पकर' -पकरेह ३९८ -पगरेह
पृ० १४० टि० २५ -पकरेंति
* पगह पकाम ४५७, ४७२ -पगिज्झ
४९१ पकामदुक्ख
४५४ पगाम १२४४, पृ० १४९ टि० २२, पकामसो ५३२
पृ० १५१ टि० ३० पकास ७७५ पगामदुक्ख
पृ० १४९ टि. १३ पकासणा पृ० २६७ टि०६ पगामभोइ
१२४५ पकिण्ण = प्रदत्त पृ० १३७ टि० २३ पगामसो
पृ० १६६ टि०८ पकित्तिय १४६८, १४७०-७१, १४७३, पगास
पृ० १९४ टि० ५ १५३७, १५४६, १५४८, १५७०, पगासणा
१२३६ १५७८-७९, १५८८, १५९७ * पगिज्झ=प्र+गृध् * पकुव्व
-पगिज्झेजा
२२७
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