Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 656
________________ सहो परसु " " -तत्पर उत्तरज्झयणसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो ५६३ सुत्तंकाइ । सद्दो सुत्तंकाइ ५७९, ६२४, ६२६, पृ० १८४ टि. २ ७३८, ९४२, ९६०, परं १०३०, ११६२, १४१४, १४१७, ९६४, ९६५, ९८५, १४२१ ९८९, १०८३, ११३५, परंदम १८४ १२६३, १२७६, १२८९, परंपर १२६८, १२८१, १२९४, १३०७, १३०२, १३१५, १३२८ १३२०, १३३३ पर-पर-श्रेष्ठ परंपरा १२६७, १२८०, १२९३, १३०६, १३१९, १३३२ परकड ३४, १४३७ पराइय ८२६, १२४६ परकरण १००० पराजिय २८४, ४०७ परक्क = पराक्य पृ. २९३ टि० १५ परायण १८७, ४९२ परक्कम २४९, ३४४, ३८२, ३८६, ४९१, * परिइ ५१४, ५९९, ६०२, ९२२, - परियंति १०६० ११०१, ११७६ परिकम्म परगेह ५४७ * परिकंख परज्झ= परवश १२९ - परिकंखए पृ० १११ टि. ४ परट्ठा परार्थम् २५ परिकित्तिय १२१२, १६०१, १६०९, परत्थ-परत्र १५, ५४९ - १६६९ परत्था =" १२१ परिकिन्न ३४५ परपासंड परिक्खीण ૧૮૮ परप्पवाइ १२९ परिक्खेवि ३३५, ३३९ परप्पवित्त परिगय परम ७६, ९७, १०८, २६२, ६७६, * परिगह ७०८, ७२३-२४, ७६१, १४३८ - परिगिज्झ ४३, पृ० १९७ टि० ५ परमट्ठ परिग्गह ६९, १८४, ३६८,३७३, ४००, परमत्थ १०९२ ४३९, ४८२, ६३४, ११७८%; परमदुक्खिय ५६५ १२६२ तः १२६४, १२७५ तः परमदुलह १०५ १२७७, १२८८ तः १२९०, परमसुहि ११४० १३०१ तः १३०३, १३१४ तः परमंत=परमन्त्र ५८१ १३१६, १३२७ तः १३.२९ परमाणु , १४६२-६३ परिग्गहि . १३३५ परमाहम्मिय १२२५ परिचत्त ८१६, पृ० २०४ टि० ६ परय १३८४ परिचारयंत ४२० परलोग १४०, ८०६, १४३० * परिच्चअ = परि+त्यज परलोगधम्म ११५२ - परिच्चज ५४१, ५६२, ५९९, १४३३ परलोय - परिच्चज्जा पृ० २९३ टि०४ परसमय ११६१ । -परिचयइ ७८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759