Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 659
________________ पलंब पंचमं परिसिटुं सुत्तंकाइ सद्दो सुत्तंकाइ - परिहायइ पृ० २३७ टि०३ पलिच्छन्न पृ० ८९ टि. १७ परिहायमाण पृ० ३०३ टि. ४ पलितोवम पृ० ३२२ टि० २७-२९ परिहायंत १५११ पलित्त ६२७-२८ परिहारविसुद्धीय * पलिमंथ परिहिय - पलिमंथए २४९ परीसह । ४९, ५०, ५१, ५५, ६४, ६८, पलिय=पल्य-पल्योपम १४०५ तः १४०७ ..९६, ६३७, ७७४, ७८०, ७८२, १४११ तः १४१३, १४१८ ७८५, ११४८, १२२८ तः १४२०, १४२२, १४४४ परीसहऽज्झयण पृ० ९८ पं० ११ पलियंचग परूवणा १४५५ पलियंथण पृ० १२१ टि. १२ परूविय ११७६ * पलोभ पलंडु १५४९ - पलोभित्ता २२६ १०२२ -पलोभित्ताणं पृ० ११८ टि. १४ * पला=परा+अय् पल्लंघण -पलाई पृ० १५२ टि० १५ पल्ली ११९२ * पलाय =परा+ अय् पल्लोय पृ० ३११ टि० १६ - पलायए १०५४ पल्हत्थिया पलायण ४६८ पल्हाय = प्रह्लाद पृ० २४७ टि. १५ पलाल ८५३ पल्हायजणणी ५१४ पलास= पत्र-पर्ण १२६८, १२८१, १२९४, पल्हायणभाव १३०७, १३२०, १३३३ * पवक्ख * पलि= परि+इ -पवक्खामि ९९६, १२१४, १३७१ -पलिंति *पवज्ज -पलेइ ४७५. - पवनइ पृ० १७८ टि० १५ पृ० १५२ टि० २५, पृ० २३६ -पवजई ६२३, ६२५ टि. २३ * पवढ * पलिउंच - पवढई २२५ - पलिउंचंति १०६० पवण्ण -पलियंचंति पृ० २३६ टि० १८ * पवत्त पलिउंचग १३९५ -पवत्तइ ११०९ पलिओवम १४२२-२३, १६३६-३७, पवत्तण ९५१, १२१५-१६ १६४३, १६५२-५३, १६७२ पवत्तमाण ९४६, ९४८, ९५० तः १६७५ पवत्तिय ७२० * पलिकथ पवन्न ८४९, ८६०, ८६६ -पलिकथए पृ० १२१ टि. १२ पवयण ९२८, १०९०, ११२५ पलिकथण पृ० १२१ टि० १२ पवयणमाय पृ० २२१ पं०७ पलिक्खीण पृ० ११२ टि० १० । पवयणमाया ९२६, ९५२, १११३ १११९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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