Book Title: Dasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Author(s): Shayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar, Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 651
________________ पंचमं परिसिढे सदो पट्ठ सुत्तंकाइ । सद्दो सुत्तंकाइ * पगिह पज्जलण - पगिण्हई १०६३ पज्जलिय -पगिण्हए पृ० २३७ टि०८ पजव १०६९-७०, १०७७, ११०९, पच्चइय ११०३ ११५८ तः ११६०,११९० * पच्चक्खा पज्जवचरय १२०० -अ+पञ्चक्खाय १६९ पज्जवसाण ११२१ पच्चक्खाण १०२४, ११०२, १११५, पजियपायित ६७५ ११३५ तः ११४२ पजुवट्ठिय २८९, ५९५, ५९७ * पच्चणुहो= प्रत्यनु+भू पजुवत्थिय पृ० १७४ टि० १८ - पञ्चणुहोइ पट्टण ११९२ पचमाण १२५४, पृ० १०८ टि. १२ पट्टिस ६६० पच्चय ८६८ पृ० १०४ टि. ४ पच्चवायय २९३ पट्टि ३८८ पचंग पट्टिय ८९७, ८९९, १०५१ पच्चागय ११९५ पड ६९२ पच्चुप्पण्णपरायण १८७ *पड पचुप्पण्णयलजण = प्रत्युत्पन्नरजन पृ० ११२ १०५२-५३ टि.६ - पडई पृ० २३५ टि० १८ पच्छा ९१, १२३, १२५, १४२, ३२३, -पडंति ५७५ ४६७, ४७२,५३०, ६१६, ६१८, पडणीय ३, ४, १७ ६४८, ०५१, ८२१, ८२५, पडल १५२६ ११३०, ११३४, ११४३, ११६०, पडत ४६२, ४६५ ११६३, ११७३, १२६५, १२७८, पडिकम्म पृ० १८५ टि. ९ १२९१, १३०४, १३१७, १३३० * पडिकख *पच्छाअ -पडिकखए १८० -पच्छायइत्ता * पडिकूल पच्छाणुताव ११०८, १३३८ -पडिकूलेइ १०५८ पच्छाणुतावय ३२३ पडिकूलभासि ३७५ पच्छिम ८६२, ९२३ * पडिक्कम *पजह दृश्यतां 'पयह' -पडिक्कमामि ૬૮૧ -पजहामि ४०५ - पडिक्कमित्ता १०३२, पृ० २३० टि० १७, -पजहे पृ० २३४ टि० १, पृ० २३६ पज्जत्त १५२२-२३, १५३६-३७, टि०२० १५४४-४५, १५६०-६१, - पडिक्कमित्ताण पृ० २३४ टि० १, पृ० १५६९-७०, १५७९ २३६ टि० २० १५८८, १५९७ - पडिक्कमित्तु १०३६, १०४०, १०४४ पज्जय १४५० । -पडिकमे ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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