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स्वामी ९, मंतिपुत्र ६, मोरीपुत्र ७, ध्यकंपित छ, यत्राता, मेतार्य, प्रजास. ११ इग्यारे बोल जाणपणे का. धर्मका जाणपणा होय तो जीवदया पालें १, ग्यानका बल होय तो थोमा बोलें २. बुद्धिवंत होय तो सना जीतें ३, साधुकी संगती दो तो संतोष ऊपजें ४, वैराग्य होय तो पांच इंडी दमें ए, सूत्र सिद्धांत सुणतां रहें तो धर्म विषे प्रणाम चढता रहें ६. प्राणी जीवकी रिक्षा करें तो निर्भयपणो पामें 9, मदर तो देवताको पूजनीक हुवें छ, न्यायमार्गमें चालें तो शोजा पा , सर्वजीवकुं खमत खामणा करें तो साता पामें १०, भगवानकी व्याग्यासहित क्रिया करें तो मोद पामें ११.
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११ श्री जिनसास एामांदी सम्यगदृष्टिने ११ बोल जाएया जोश्जे. विधिवाद जे वीतराग श्म को श्मज करिखो. एह विधिवाद १, चरितानुवाद मुके इम कीधो नाम लेवो तनुवाद २, स्थितवाद जग़मांदी जे पदार्थ जिम तिमकदिवो ते स्थितवाद ३, शेयवाद जाणिवा जोग ४, देयवाद बांमिवा जोग ५, उपादेयवाद यादखा जोग ६, धर्मपद सम्यगदृष्टि श्रावक साधुनो मार्ग ते धर्मपद 9,