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१५ साधु १५ कुलनी गोचरी करे. उग्र कुलाणिवा १, नोग कुलाणिवा १, राय कुला
णिवा ३, दात्री कुलाणिवा ४, खाग कुलाणिवा ५, दक्षिस कुलाणिवा ६, एसीय कुलाणिवा, बैसीय कुखाणिवा, कोठांग कुलाणिवाए,गंमाग कुलाणिवा १०,
गांमरद कुलाणिवा ११ बोकसालिय कुलाणिवा १२. १२ बारे बोल करी परम कल्याण करे. सम्यकत्व निर्मल पाले तो श्रात्मा परम कल्याण
करे श्रेणिक राजांनी परे १, नियाणा रहित करणी करे तो परम कल्याण करे तामली तापसनी परे१, मन वचन कायाका जोग सुन वरतावे तो यात्मा परम कल्याण करे ३, गजसुकमालनी परे बती सक्ति दामा करे तो यात्मा परम कल्याण करे प्रदेशी राजानी परे ४, पांच इंजीदमे तो यात्मा परम कल्याण करे. धन्ना थणगास्नी परे ५, साधूनो याचार पाले तो श्रात्मा परम कल्याण करे गोतमखामीनी परे ६, धर्म ऊपरि श्रधा परतीत ब्यावे तो यात्मा परम कल्याणकरे. वारुणनामनतुवाना मित्रनी परे ७, माया कपटा गं तो थात्मा परम कल्याण करे श्री मल्लिनाथजीका मित्रनी परे., रोग बाया हायजद न करे तो यात्मा परम कल्या