Book Title: Chattrish Bol Sangraha
Author(s): Agarchand Bherudan Sethia
Publisher: Agarchand Bherudan Sethia

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Page 348
________________ त्त फूलारी ढिगला देवता करें १७, अमनोज्ञ गंध रस शब्द रूप कदेही न होय १ए, मनोज्ञ गंध रस फरस शब्द रूप सदा काल होय २०, नगवंतरी वाणी जोजन तां सुणीजें १, बर्ष मागधी नाषा सांजलीजें २२, नाहर बकरी पशु जनरा | वैरग्नाव जागें नहि जागें तो जपशम जावें नेला बैठे २३, देवादिकनी जातना पूर्व || बछ वैर कृत्रिम अकृत्रिम सर्व वैरनाव दूर जायें २४, अन्यतीर्थ पिण नगवंतने ना| मस्कार करें २५, अन्यतीर्थ मत पदधारीने बोलें खिष्ट होय ते जावें २६, नगवंत विचरें जठे सो कोसतां श्त नहि होय २७, सो कोसमें मारी मिरगी न होय २०, || स्वचक्रनो मर नय न होय श्ए. परचकनो नय सो कोस ताश न होय ३०, घणी| वर्षा न होय ३१, थोमी वर्षा न होय ३१, काल उकाल पमें नहि २३, रोग सोग | फोमी फुणगल नही होय कदाच होय तो उपशमें ३४. * ३४ श्रसिधा ३४. जकाचाए १, गजीए २, बिजीए ३, दिसीदाहे , निधाए ५, जुवए || ६, जखालीतए , धूमीए , महीया ए, रजघाए १०, अठी ११, मंस १५, सोणी १३, असुश्सामंते १४, चंदोखराए १५ सुसाण सामंते १६, सूरोवराए १७, पमिणीए

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