Book Title: Chattrish Bol Sangraha
Author(s): Agarchand Bherudan Sethia
Publisher: Agarchand Bherudan Sethia

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Page 349
________________ १०, रायबुगहे १ए, नवसथल थानो नरालियरा सलियर सरीरमें २०, चैद सुदि पुनिम २१, वैशाख वदि वीज ११, असाढ शुदि पुनिम १३, श्रावण वदि एकम २४ नादरवा सुदि पुनिम १५, यासोज वदि एकम २६, यासोज सुदि पुनिम ७, का तिक वदि एकम शश, कातिक सुदि पुनिम शए, मिगसर वदि एकम ३०, प्रनात | ३१, मध्याह्न ३१, सिंजा ३३, अरात्रि ३४. ३४ असिधा सवैयो. तारो टुरे १, रातिदिशा २, अकाले मेह गाजें ३, वीज ४, क मके अपार ५, जेर जुमी कंपा नारी हे ६, बालचंड , जखचेन , थाकासे - गनकाय ए, काली धोली धुंध १०, जर रजुधात न्यारी हे ११, हाम ११, मांस १३ लोही १४, राघ १५, उमले मसाण बले १६, चंड १७, सूर्य ग्रहण १०, नर राज्य मृत्यु रालीहे १ए, थानकमें पड्यो ममाकी पंचेंडी कलेवर २०. ए बीस बोख टाल कर ग्यानी धाग्या पाली हे १, असाढ २१ नाद यासु काती चैत्ती पुनम जाण । ऋणथीलगती टालीये, पमुवा पांच वखाण ॥ पम्बा पांच वखाण सांज सवेर न न पीये। श्राधी रात दोष हर सर्व मिल चौतीस गिणिये ॥ चौतीस असमाश्यालके

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