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सूत्र नणसी सोय । ऋषि लालचंद श्णपरि कहे ताके विघन न व्यापे कोय ३४३ ३४ नियम धारण बोल. १ सचित्त जो जीवसहित होय कच्चा जल हरीवनस्पती फल
पान साकहरा दातण निमक उपरसे लेणा काचो कोरो धान ला माफक राखे
और त्याग करें, द्रव्य जितनी वस्तु मुखमें गेरे जतने द्रव्य जल मंजन दातण रोटी दाल नात शाक कढी मिगई पुमी पापम पान सुपारी श्लायची चुरण दही दूध घी तेल मीगे मलाइ खमी दवाश् चाय प्रमुख विगय दूध दही २ घृत ३ तेल ४ मीगे ५ मीगनी जात पकवान जो कमाहीमें घी तेलमा तलीया जावें महावीगय, ३ मधु १ माखण २ सहत ३ मांस ४, ४ पानीही जुता चटी मोजा खमाज व गेरे, ५ तंबोल पान सुपारी श्वायची लोंग पानकी जुर्की चूर्ण खाटेरी पोली पीप-|| सादि, ६ वट वस्त्र पगमी टोपी अंगोग रूमाल कपमा पढेरणे तथा जंढणका कपमा सर्व च्यार प्रकारना उनी सूवी रेसमी सणीका श्णकी मर्यादा रके, 9 कुसुमेसु जे| वस्तुना नाकसे सुंघणेमें आवे सो फूल फूलोका हार गजरा तुर्रा वगेरे थत्तर सुंघ. | णी वगेरे मर्यादा राखें, वहाण सवारी गामी फेटण हाथी घोमा जंठ रथं वैसी
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