Book Title: Chattrish Bol Sangraha
Author(s): Agarchand Bherudan Sethia
Publisher: Agarchand Bherudan Sethia
View full book text
________________
पणी स्तुति परकी निंदा न करें १३, मधुर वाणी सनस नहि राखें २४, शब्द लिंगादि शुरू कहें २५, सांजलणहारने चिंते चमत्कार ऊपजें १६, नगवंत देवें देशना पिण घणी सुस्ती नहि घणी उतावळथी नहि , सानलणदारने रोगादिक फुःख | पी नदि २०, नरमणा विना वचन नाखें सुणनहारने संदेह नहि रहें श्ए, जे पदार्थ वर्णवें ते संपूर्ण कहें ३०, जगवंत देशनामांहि सापेद वचन नाखें ३१, बर्थ पद जुदो जुदो कहें ३२, च्यार नाषामांहि सत्य विवहार वचन नाखें ३३, खज्जासहित उत्साहसहित वचन नाखें ३५, जीवादिक वस्तु प्रकाशतां निशंक परूपें परं शंका नहि ३५.

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369