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इत्यादिक धारणा प्रमाणे शय्याका प्रमाण करें इति शय्या नियम ए. अथ दशमा विलेपन नियम. सरसुंका राईका आटेका तेल फुलेख सब जातिका केसर चंदन का पूर कस्तुरी कुंकुं इत्यादिक शरीरके सुख वास्ते तथा रोगादि कारणे औषधादिकका विलेपन फोमें परिमल प्रमुख श्रांखामें अंजन इत्यादि अंगोपांगमें लगाणा सो वि. लेपन धारणा प्रमाणे प्रमाण करें इति विलेपन नियम १०. अथ ब्रह्मचर्य नियम. रातको तथा दिनको सूई मोरेके दृष्टांत जोगादिकका प्रमाण करें स्वमेकी मनकी वचनकी जयणा इति ब्रह्मचर्य नियम ११. अथ दिशि नियम. पूख १, पश्चिम २, दक्षिण ३, उत्तर ४, श्रमिकुण ५, नैऋतकुण ६, वायवकुण 9, ईशानकुण , अघोदिशि ए, अदिशि १०, यह दश दिशिका अपणे जाणे श्राणेंका प्रमाण करें चिठी लिखणी आदमी नेजणा देशांतरकी चिढी वाचणी उसकी जयणा शति दिशि नियम १५. अथ तेरमा स्नान नियम. तहां भाजदिनमें स्नान २ वार अथवा ४ वार मोकला परंतु पाणीका तोल रखें घमे प्रमुखकका प्रमाण करें एक स्नानमे श्तना पाणी खरच कर ज्यादा नही गटाऊ इति स्नान करण नियम १३, श्रथ चौद
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