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क्ति करतो थको जीव तीर्थंकर गोत्र वांधे ११५, तीर्थकरनो मार्ग दीपावतो थको जीव तीर्थकर गोत्र बांधे २०.
२० दर्शनावरण कर्म बांधवाना हेतु कहें वें. १ चक्रुदर्शन प्रमुखरो मूंको करें, १ दर्शनी साधु प्रमुख भूंको करें, ३ दर्शनरों कारण कान आंख्या नाक प्रमुखरो तूंको करें कान प्रमुख बेदें, ४ पुस्तकरी यशातना करें, " में उण पासे नदी नएयो इम नट जाय, ६ दर्शन अथवा दर्शनीको मूलसुं विनाश करें, 9 दर्शन घ्यावा दर्शनी प्रमुखसुं प्रीति राखें, दर्शन अथवा दुर्शनी प्रमुखरे जात पाणी वस्त्र उपाश्रयरो गं - तराय करें अथवा तां अंतराय करें, " दर्शन अथवा दर्शनी की घी व्याशा तना करें जाति प्रमुख धाम, १० दर्शन पथवा दर्शनीमांदी दूपण काढे, ११ कान कातरे, १२ यांख्या उघामें, १३ नाक बेदें, १४ जिह्ना प्रमुख कतरें, १५ जीवरी हिंसा करें, १६ जूठ बोलें, ११ चोरी करें, १० कुशील सेवें, ए परिग्रहको व्रत नही हु वे, १० रात्रीोजनको त्याग न करें. इत्यादि देतु करी दर्शनावरणी कर्म बाँधे. ५
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